आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।
इस बार से महा-उत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |
पिछले 33 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 34
विषय - "सावन"
आयोजन की अवधि- शुक्रवार 09 अगस्त 2013 से शनिवार 10 अगस्त 2013 तक
(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दिए हुए विषय को दे डालें एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति. बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य-समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित पद्य-रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)
अति आवश्यक सूचना :-
ओबीओ लाईव महा-उत्सव के 34 में सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.
आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है.
इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 09 अगस्त दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका
डॉo प्राची सिंह
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
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agali bar dhyan rakhunga aadarniy..
मेरे कहे को मान देने के लिए आपका सादर आभार, आदरणीय अविनाश जी.
आदरणीय अविनाश जी बहुत सुन्दर बधाई ......... सादर
aabhar... hemant sharma ji
आ0 बागड़े जी, अतिसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
aabharKewal Prasad ji
आदरणीया मंच संचालिका महोदया, परम आदरणीय गुरुजन एवं मित्रो ...महोत्सव में प्रस्तुत है मेरी दूसरी रचना ........
सावन आया तो
बारिश भी हुयी
हरियाली छाई तो
भींगी मैं भी
भींगा मन भी कई तरह से
जो देख रहा था
तेज बौछार के साथ
आये हवा के झोकें
उड़ा ले गए थे
घास फूस से बने औ प्लास्टिक से ढके छत को
रिस रहा था पानी
चंद ईटो और गारे से बनी दीवारों से
बह गया था सारा समान
जो सड़क पर फैलाये गए थे
धुप में सुखाने को
सीलन की दुर्गन्ध हटाने को
वे बटोर रहे थे अपने वस्तुओ को
जो बहने से बच गयी थी
कुछ अपने छत को बचाने में लगे हुए थे
रख रहे थे उस पे टूटी ईटे
पर पानी तो घुस आया था घर में
बिन बुलाये मेहमान की तरह
कब जाएगा ये तो उसकी मर्जी
पैरो को समेट चौकी पर वे बैठे
टपकते पानी से भींग रहे थे
बतिया रहे थे
अब तो कुछ दिन पानी का साथ रहेगा
अंगीठी तो डूब चुकी है
अब फाके में ही दिन रात रहेगा
पर उनके बच्चे बेखबर
सड़क के कीचड़ सने बहते पानी में
अधनगें खेल रहे थे
छप्प छप्प छपाक
हंसी फुट रही थी सूखे गालो पे
चला रहे थे नाव
गदाबदते बजबजाते नालो में
जो बारिश के पानी में आप्लावित हो रहा था
सावन आया तो
बारिश भी हुयी
भींगी मैं भी कई तरह से
इस सुन्दर कविता के लिए बधाई महिमाश्रीजी
आदरणीय अलबेला सर ,...आपका ह्रदय तल से आभार ...कविता आपको अच्छी लगी .लेखनी को बल मिला ..स्नेह बनाये रखे ..सादर
पर पानी तो घुस आया था घर में
बिन बुलाये मेहमान की तरह
कब जाएगा ये तो उसकी मर्जी
पैरो को समेट चौकी पर वे बैठे...sunder
wah Maheema ji..
आदरणीय अविनाश सर ...आपका हार्दिक आभार ..स्नेह बनाये रखे
सुन्दरतम रचना बहन महिमा श्री सामान्य मानव जीवन को दृश्यमान करती उत्कृष्ट कृति हेतु हार्दिक बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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