आदरणीय साथिओ,
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बहुत बहुत आभार आदरणीय विनय जी।
बेहतरीन ज्ञानवर्धक रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय मनन सरजी ।
आभार आदरणीया बबिता जी।
लघुकथा— सौतेली बेटी
'' बाबा ! ऐसा मत करिए. वे जी नहीं पाएंगे,'' बेटी ने अपने पिता को समझाने की कोशिश की.
'' मगर, हम यह कैसे बरदाश्त कर सकते हैं कि हमारी बेटी अलग रीतिरिवाज और संस्कार में जीए. हम यह सहन नहीं कर पाएंगे. इसलिए तुम्हें हमारी बात मानना पड़ेगी.''
'' नहीं बाबा ! मैं आप की बात नहीं मान पाऊंगी. मैं अब नौकरी पर लग चुकी हूं. उन के सुखी रहने के दिन अब आए है. उन्हें नहीं छोड़ सकती हूं.''
पर, पिताजी नहीं माने, '' तुम्हें हमारे साथ चलना होगा. अन्यथा हम मुकदमा लगा देंगे. आखिर तुम हमारी संतान हो ?''
'' आप नहीं मानेगे, '' बेटी की आंख में आंसू आ गए. वह बड़ी मुश्किल से बोल पाई, '' बाबा ! यह बताइए, जब आप ने दो भाई और चार बेटियों में से मुझे बिना बच्चे के दंपत्ति को सौंप दिया था, तब आप का प्यार कहां गया था ?'' न चाहते हुए वह बोल गई, '' मेरे असली मातापिता वहीं है.''
'' वह हमारी भूल थी बेटी, '' बाबा ने कहा तो बेटी उन के चरण स्पर्श करते हुए बोल उठी, '' बाबा ! मुझे माफ कर दीजिएगा. मगर, यह आप सोचिएगा, यदि आप मेरी जगह होते और आप के जैविक मातापिता आप को जन्म देने के बाद किसी के यहां छोड़ देते तो आप ऐसी स्थिति में क्या करते ?'' कहते हुए बेटी आंसू पौंछते हुए चल दी.
बेटी की यह बात बाबा को अंदर तक कचौट गई. वे कुछ नहीं बोल पाए. उन का हाथ केवल आशीर्वाद के लिए उठ गया.
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(मौलिक और अप्रकाशित )
आदाब। बहुत कुछ स्पष्ट अनकहे में कहती विषयांतर्गत जागृति उभारती बेहतरीन रचनाहेतु हार्दिक बधाई आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रीय 'प्रकाश' साहिब। शीर्षक कोई नया भी सोचा जा सकता है।
मेरे विचार में शीर्षक सुझाव/अभ्यास, यथा : विडम्बना/तथास्तु/ इति सिद्धम
बहुत खूब ।
हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब 'प्रकाश' साहिब।
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी आपका हार्दिक आभार । नई सोच से मुझे अवगत कराने के लिए दिल से शुक्रिया ।
बेटियां कभी सौतेली नहीं होती है. यही भाव इस रचना में मुख्य है. इसी को उभरने के लिए रचना लिखी गई थी. इसलिए यह शीर्षक रखा था. कोई उपयुक्त शीर्षक सुझाए. हार्दिक आभार आप का .
बहुत बढ़िया और प्रभावशाली रचना प्रदत्त विषय पर, बहुत बहुत बधाई आ ओम प्रकाश जी
आदरणीय विनय कुमार सिंह जी आपका बहुत बहुत आभार आपने मेरी हौसला अफजाई की।
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