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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-49 (विषय प्रेरणा)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-49 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है, प्रस्तुत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-49
"विषय: "प्रेरणा" 
अवधि : 29-04-2019  से 30-04-2019 
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अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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प्रदत्त विषय से न्याय करती हुई अच्छी लघुकथा कही है भाई वीर मेहता जी. हार्दिक बधाई प्रेषित है. 

रचना पर आपकी स्नेहिल टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आदरणीय योगराज भाई जी...

प्रदत विषय के अंतर्गत बेहतरीन लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता जी।

रचना पर आपकी प्रोत्साहन देती टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार भाई ओम प्रकाश जी .. सादर 

प्रदत्त विषय पर अच्छी कथा हुयी है आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता जी । बधाई स्वीकार करें।

रचना पर आपकी प्रोत्साहन देती टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आदरणीया नीलम उपाध्याय जी. सादर 

हार्दिक बधाई आदरणीय वीर मेहता जी।लाज़वाब लघुकथा।प्रदत्त विषय से शत प्रतिशत न्याय करती बेहतरीन प्रस्तुति।प्रेरणा का सुंदर उदाहरण।

रचना पर प्रोत्साहन के लिये शुक्रिया भाई तेजवीर सिंह जी। सादर। 

आदाब। वाह.. अंतिम बेहतरीन संवादों के साथ विषयांतर्गत बढ़िया रचना के लिए हार्दिक बधाई जनाब वीरेंद्र वीर मेहता साहिब। व्यवहारिक बोलचाल के अंग्रेज़ी शब्दों के प्रयोग से स्वाभाविकता तो आई है, लेकिन उनमें से कुछ के स्थान पर हिंदी या उर्दू शब्द भी फिट हो सकते हैं मेरे विचार से। // इलाज़ी ख़र्चे// .. इन शब्दों को किसी दूसरी तरह से कहें, तो?

रचना पर आपकी सुंदर टिप्पणी के लिये हार्दिक आभार शहजाद उस्मानी भाई। आप का प्रश्न ग़ौरतलब है। लघुकथा में संवाद के दौरान शब्दों का बहुत अधिक महत्व होता हैं। प्रस्तुत रचना में दोनों पात्रों के परिवेश और उनके पेशे के मद्देनजर मैंने वही बोलचाल के शब्द प्रयोग करने का प्रयास किया है जो उचित लग रहे हों। अब मैं कितना सफल हुआ, कह नहीं सकता। रचना पर आगमन के लिये फिर से आभार। 

वाह वाह बहुत ख़ूब मुबारकबाद अच्छी लघुकथा कही है भाई वीर मेहता जी. 

जानना चाहता हूँँ कि जब रचना में बजाज साहब और ख़ान साहब के बीच संवाद चल ही रहे हैं, तो ख़ान साहब को प्रथम पुरुष सर्वनामों मेरी/मैं/मुझे के साथ प्रस्तुत करना कितना ज़रूरी है आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता साहिब।

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