Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीय विजय शंकर सर सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभारी हूँ. सादर
आदरणीया कांता जी, हार्दिक आभार (तकनीकि कारणों से पूर्व टंकित प्रत्युत्तर गायब हो गया है शायद)
बच्चों को अच्छी बाते सिखाना माँ बाप का कर्तव्य होता है | परन्तु उनका निर्वहन बहुत ही कम लोग कर पाते हैं | बेटे का ट्राफी चूमना अपने पिता के सिखाये उपदेशों का सम्मान करना प्रदर्शित करता है | सकारात्मक संदेश देती सुंदर कथा के लिए हार्दिक बधाई आ. मिथिलेश जी !! सादर
आदरणीय सुधीर जी, लघुकथा का संशोधित वर्जन आपको अच्छा लगा, लिखना सार्थक हुआ. हार्दिक आभार आपका.
भाई मिथिलेश जी, कल रात ऐन मौके पर पीसी महाराज हाथ खड़े कर गए इसलिए आपकी रचना पर सिर्फ उपस्थिति ही दर्ज करवा पाया। बहरहाल, विषय के सम्बन्ध में मैं अर्ज़ कर ही चुका हूँ। अब यदि मैं यह दूँ कि यह शिल्प के आधार पर खारिज है (अर्थात यह लघुकथा है ही नहीं) तो क्या आप क्या कहेंगे ? आज आपकी इस लघुकथा के आलोक में यह एक बेहद महत्वपूर्ण बिंदु है जोकि इस लघुकथा को कहते हुए आपने नज़रअंदाज़ कर दिया। यदि आप जानने के इच्छुक हुए तो विस्तार से बात करूँगा।
आदरणीय योगराज सर, आपकी प्रतिक्रिया// अब यदि मैं यह दूँ कि यह शिल्प के आधार पर खारिज है (अर्थात यह लघुकथा है ही नहीं) तो क्या आप क्या कहेंगे ? आज आपकी इस लघुकथा के आलोक में यह एक बेहद महत्वपूर्ण बिंदु है जोकि इस लघुकथा को कहते हुए आपने नज़रअंदाज़ कर दिया। यदि आप जानने के इच्छुक हुए तो विस्तार से बात करूँगा।// के बाद मैं लगातार सोच रहा हूँ कि शिल्प के आधार पर कौन सा मत्वपूर्ण बिंदु नज़रअंदाज हुआ है? कथानक और विषय पुराना है किन्तु क्या कहना है, कैसे कहना है और क्यों कहना है इस बिन्दुओं पर लघुकथा के दोनों वर्जन मुझे ठीक लग रहे है. यहाँ प्रश्न कैसे कहना यानी शिल्प का है लेकिन शिल्प में क्या नज़रअंदाज हुआ है , मैं पकड़ नहीं पा रहा हूँ. दिमाग की बत्ती गुल हो गई है...मार्गदर्शन का निवेदन है. सादर
दृश्य-प्रथम
//“सत्य और परोपकार मतलब ट्रुथ एंड चैरिटी”
“वो तो मैं जानता हूँ पापा... मुझे हिंदी में स्पीच देनी है.”
“अच्छा ..... हमेशा सत्य बोलना चाहिए. झूट बोलना पाप है. गांधीजी हमेशा सत्य बोलते थे. सत्य की हमेशा जीत होती है....”.
“और परोपकार पापा ?”
“परोपकार, मतलब दूसरों पर उपकार करना. परोपकार सबसे बड़ा धर्मं है. असहाय लोगो का सदैव सहयोग करना चाहिए. यही परोपकार है.......”//
दृश्य-द्वितीय
//अगले दिन स्पीच में फर्स्ट प्राइज़ की ट्रॉफी लेकर, बेटा स्कूल से घर आया तो देखा पापा बेडरूम की अलमारी में नोटों की गड्डियाँ रख रहे थे. तभी कॉलबेल बजी और पत्नी ने आकर फुसफुसाया- “किशन भैया आये है. कह रहे है कि मीना अस्पताल में है.”//
“हे भगवान! ये फिर आ गया उधारी मांगने. तुम यहीं रुको.... सुनो बेटा! तुम जाकर कह दो, पापा घर पर नहीं है.”
बेटे ने पल भर अपनी ट्रॉफी को देखा और उसे बड़ी लापरवाही से साइड टेबुल पर रखकर, पिता के आदेश का पालन करने चल दिया.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
आदरणीया कांता जी इस पुनर्प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभारी हूँ. सादर