For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गाव में चारो तरफ गहमा गहमी लागल रहुये , जेकरा के देखा उहे बेआस्त हमारा कुछ समझ में न आवत रहुये की हमर गाव जवान हमेशा सुस्त रहेला आज एकरा में इतना उमंग कहा से आ गइल तबे हमारा हरी काका से भेट भइल हरी काका से हम पूछनी का बात बा काका , अब रुआ लोगिन के बता दी की हरी काका उहे आदमी हाउअन जेकर गलत समय पर जनम हो गइल बा इनकार सतजुग में पैदा होखे के चाहत रहे , छोरी आई कहानी के आगे बढावल जाव , ता हरी काका कहलन की एगो मठिया पर सन्यासी आइल बारन जे बहुत कुछ बतावत बारन हमू ओही जा जात बनी , हमारो जिज्ञासा बढ़ गइल हमहू मठिया के तरफ चल देनी , अरे बाह इ हम का देखत बनी जेकरा के इ लोग साधू कहत बा उ ता एक दम फ़िल्मी हीरो लगत बा सुन्दर चेहरा दाढ़ी मुछ गाएब भगवा कपड़ा में मनमोहक केहू भी उनकर हो के रह जाई, अभी हम बाबा के लगे जाये के सोचत रहनी तबे मलकिनी आपन पतोह के लेके आइली हमार कदम रुक गइल उनका के देखते महाराज कहले कवनो फायदा न बरका बाधा बा बाधा दूर करे खातिर पूजा पाठ करे के पारी, तब मलकिनी कहली बाबा जवन खर्च होई हम करब राउआ एकरा के ठीक कर दी , तबे उनकर पतोह कहलस हमारा कुछ नइखे भइल माँ जी इहा बिना मतलब के ले आइल बनी हमारा के , तभी बाबा कहलन जे परेसान रहेला ओकरा इहे बुझाला अगर राउआ के हमारा पर बिस्वास बा ता हाई ली एगो कागज के टुकरा जवाना पर कुछ लिखल रहे दे के सब सामान माँगा ली कलह अमावास हा हम राउआ घर पर आके काम करब मलकिनी चल गईली हमहू राम सलाम का के चले लगनी ता हमारा लगे हरी काका आके कहले बबुआ मलकिनी बेकार के इहा आइली हा उनकर ता आपन बेटा के डाक्टर के दिखावे के चाही उ दारू पि के आपना के बर्बाद का देले बा बाप कैसे बनी दवाई से ठीक होई ता बनियो सके ला , तबे मालिक के छोटकू लाईका उहा अइलान हम कहानी का हल बा राजू ता उ कहलन ठीक नइखे भैया राउये चल के मई के समझाई ना इहा अइला से कोई फायदा नइखे भैया अन्दर से खोखला हो गइल बारन उनकर दवाई होई ता .... हम कहानी तू ठीक कहत बार चला , हमनी दुनु आदमी मलकिनी के लगे गइनी सन मलकिनी सुने के तैयार ना पूजा के तयारी होखे लागल तभी भौजी हमारा लगे आइली हम राजू और उ मिल के एगो प्लान बनवानी सन जवन बाद में कामयाब भइल ओ प्लान के अनुसन हमहू पूजा में आ गइनी पूजा सुरु होते ही उ साधू एक एक चिलाइल भौजी के तरफ कुछ फेकलास ओकरा बाद हवन में कुछ फेकलास ओमे से बहुत जोरदार आग निकलल सब कोई ये कमरा से निकल जाव एकरा ऊपर बरका प्रेत के साया बा अभी भगावे के परी भवजी धीरे धीरे बेहोश होत रहली मलकिनी के कहला पर हमनी के बहार आ गइनी और हम राजू के इशारा कईनि अन्दर से ओकर और जोर जोर से आवाज आवे लागल राजू उहा से चल गइल थोरे देर बाद राजू के आवाज आइल हरामी हम तोरा के ना छोरम मलकिनी परेशान तबे ओ घर मेसे बल पकर के घसीटत ओ साधू के लेके राजू आइल और कहलस भैया राउआ ठीक रहनी हा अगर हम खिरकी ना खोल के रखले रहती ता इ बेहोश भौजी के इज्जत लुट लेले रहित मालकिन इ सुन के बेहोश हो के गिर गइली दूसरा दिन ओ साधू के मुह करिया कर के गदहा पर बैठा के घुमावत रहनी सन तबे मलिकार आपन बड बेटा के ले के अइलान और उ बतावालन अब इ ठीक हो गइल बारन , ता हम कहनी बाकिर इह मालकिन गरबर का देले रहली हा पूरा बात जनला के बाद मालिक लाठी उठा के मारे लागले मान ली इ एगो काल्पनिक कहानी बा एमे भौजी बच गइली का हकीकत में अइसन हो पाई हमार जबाब बा ना ता कहे ना हमनी के पाहिले से ही सावधान रही जा ,

Views: 1125

Reply to This

Replies to This Discussion

गुरु जी आप जो एक लघु कहानी के माध्यम से सन्देश देना चाहते है ,उसमे आप पूरी तरह से कामयाब है, कहानी की संरचना और उसकी प्रेषण बहुत ही बढ़िया है, अंधविश्वास इस समाज को गर्त मे लेते जा रहा है, जिस दिन समाज से अंधविश्वास ख़त्म हो जायेगा उसी दिन इन पाखंडी बाबा सब का अंत भी हो जायेगा |
bahut badhiya guru je.....hum bhi same ganesh jee wala comment hi ehja post kar rahal bani kahe ki hum bhi ehe kahe ke chahat bani jaun ganesh bhaiya kahle bani........
गुरु जी आप जो एक लघु कहानी के माध्यम से सन्देश देना चाहते है ,उसमे आप पूरी तरह से कामयाब है, कहानी की संरचना और उसकी प्रेषण बहुत ही बढ़िया है, अंधविश्वास इस समाज को गर्त मे लेते जा रहा है, जिस दिन समाज से अंधविश्वास ख़त्म हो जायेगा उसी दिन इन पाखंडी बाबा सब का अंत भी हो जायेगा
Namaskar Bhai,
Aaj ke time ke shadhu log sadhu na ba,
sawadhu ba...sawadhu ba.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Oct 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service