For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चौपाल: सार्वजानिक घटनाएँ और हमारा आचरण

चौपाल:

सार्वजानिक घटनाएँ और हमारा आचरण

ज्योति सिंह पांडे (छद्म नाम दामिनी) प्रकरण के साथ प्रेस, नागरिकों, नेताओं और पुलिस के असंयमित आचरण की कई बानगियाँ सामने आईं।

हर चैनेल ने तथ्य पर चटपटेपन से परोसने को वरीयता दी। जन सामान्य को भड़काकर सड़क पर उतार दिया गया। किसी चैनेल ने यह अपील नहीं की कि लोग गवाह बनें, पुलिस को सबूत जुटाने में मदद दें या ऐसे प्रकरण होने पर तुरंत सहायता दें। बाद में भुक्तभोगी ने यह बताया की उन्हें बस से फेंके जाने के बाद भी लंबे समय तक किसी ने सहायता नहीं दी, न अस्पताल ले जाने की पहल दी। दुर्घटनाग्रस्त का तमाशा देखना, तत्काल मदद न देना और फिर शासन-प्रशासन के विरुद्ध सड़क पर उतर कर कानून हाथ में लेना ... पुलिस की कठिनाई बढ़ाना, पिटना और चैनलों के लिए मसाला जुटाने का औजार बनना कितना उचित था? सोचें ... क्या भविष्य में भी ऐसा ही आचरण हो या कुछ बदले?

समाचारों के अतिरेकी प्रसारण से पूरा वातावरण दूषित हुआ ... सामान्य की अपेक्षा हर दिन दुराचार के समाचारों में अत्यधिक वृद्धि दिख रही है। क्या यह अकस्मात् है? प्रेस दिल्ली के बाहर की घटनाओं को उतना महत्त्व क्यों नहीं देता? आरक्षण आन्दोलन के समय प्रेस द्वारा अतिरेकी समाचार लगातार देने का परिणाम छात्रों द्वारा लगातार दाह के रूप में सामने आया था। मनोवैज्ञानिकों ने दाह की घटनाओं का कारण कमजोर मानसिकता के छात्रों पर ऐसे समाचारों का  बताया था ... तदनुसार दुराचार के लगातार अतिरेकी समाचारों का परिणाम कमजोर मानसिकता के लोगों का समान कर्म करने की और प्रवृत्त होने के रूप में सामने आ रहा है। प्रेस का काम घटना की सूचना देना है या जन सामान्य को किसी दिशा विशेष की ओर मोड़ना? यदि प्रेस द्वारा प्रसारित सामग्री से प्रेरित होकर लोग राष्ट्रीय संपत्ति को हानि पहुंचाते है तो क्या इसकी जिम्मेदारी प्रेस पर नहीं होना चाहिए?

आपात काल में नेताओं को समाज का पथ प्रदर्शक होना चाहिए या राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति करते हुए बयान देना चाहिए? कश्मीर में आतंकवाद, संसद में हमला,
बंबई बम कांड या दिल्ली की घटना ... कभी भी कोई भी नेता देश या समाज के हित में दलगत राजनीति को छोड़कर जनता का मार्ग दर्शन नहीं करता। इस दिशा हीनता का कारण दलीय पद्धति है तो क्या दलविहीन  राजनैतिक प्रणाली नहीं लाई जाना चाहिए?

पुलिस पर थानों में अपराध संख्या घटाने के लिए दबाब क्यों होना चाहिए? जनसँख्या बढ़ने के साथ अपराध बढ़ेंगे ही। अपराधों के संधान और न्याययालय से अपराधियों को शीघ्र सजा दिलाने के प्रकरणों की संख्या के आधार पर पुलिस कर्मियों को पदोन्नति मिले तो दिया जाना ठीक नहीं होगा क्या?

और अंत में पीड़ितों का नाम छिपाने के सम्बन्ध में ... पीडिता के दिवंगत होजाने के बाद भी नाम को छिपाए जाने का कोई कारण समझ में नहीं आता। परिवारजनों के न चाहने पर भी नाम छिपाया गया जबकि एक विदेशी समाचार स्रोत ने असली नाम सामने ला दिया। इसी तरह अपराधियों में से हिन्दू अपराधियों के नाम बताये गए, मुसलमान अपराधी का नाम छिपाया गया जबकि सर्वाधिक बर्बरतापूर्ण आचरण उसी का है। अब उसे किशोर कह कर कम से कम सजा की दिशा में प्रकरण को ले जाया जा रहा है। क्या यह उचित है?

सभी से निवेदन है की उक्त बिन्दुओं पर गंभीरता से सोचकर अपना मत व्यक्त करें ताकि सभी को एक-दूसरे से दिशा मिल सके।

Views: 331

Reply to This

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
19 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service