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जी आपसे पूरी तरह सहमत हू. हमे टिप्पणी कर लेखको का हौसला बढ़ाना चाहिए. ये एक एसा मंच हे जहाँ हम अपने विचार व्यक्त्त कर सकते हे और हमे इसका आदर करना चाहिए हम खुशनसीब हे की हमे एसा मंच मिला हे अतः टिप्पणी कर आदर करना एक लेखक की रचना उसकी प्रतिभा का आदर हे मे भी ये प्रयास करूँगी की सभी रचनाओ पर अपनी राय ज़रूर व्यक्त्त करू.
आदरणीया मोनिका जी, मेरी बातों को अनुमोदित करने हेतु बहुत बहुत आभार |
आदरणीय बागी जी पहले तो माफ़ी चाहती हूँ यह डिस्कशन देर से देखा |आपकी बातों से मैं शत प्रतिशत सहमत हूँ बिलकुल सही लिखा है आपने जो रचनाकार इतनी मेहनत से लिखता है वो अपेक्षा भी करता है की लोग उसे पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया भी दें केवल अपनी रचना पोस्ट कर देना ही हमारा धर्म नहीं है बल्कि नए रचनाकार को प्रोत्साहित भी करना है हार्दिक आभार
आदरणीय गणेश जी,
बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु पर चर्चा की है आपने. अपनी रचनाओं पर पाठक जनों की राय जानना हर लेखक का हक है, यदि पाठक रचना को पढ़ कर बिना लेखक को अवगत कराए आगे निकल जाते हैं , तो पाठक अपना फ़र्ज़ भी कदाचित नहीं निभाते.
यदि रचनाकार, अपनी रचनाओं पर पाठकों की टिप्पणियों की अपेक्षा करते हैं, तो उन्हें अवश्य ही दूसरे रचनाकारों की अपेक्षाओं को भी समझना चाहिए.
टिपण्णी द्वारा सही राय देकर, हम रचनाकार की रचना को सिर्फ मान ही नहीं देते, वरन उसकी लेखनी में यदि कोई आवश्यक कमी है, इससे भी लेखक को अवगत करते हैं, जो निश्चय ही रचनाकार की रचनाधर्मिता को और निखारता है, व लेखनी के आत्मविश्वास को और बढ़ाता है, प्रोत्साहित करता है.
सभी रचनाकारों को एक दुसरे की रचनाओं को ध्यान से पड़ना चाहिए और उसपर बिलकुल सत्य टिपण्णी भी देने से हिचकना नहीं चाहिए. यह एक पाठक का वास्तविक दायित्व है.
सादर.
डॉ. प्राची
रचनाओं पर टिपण्णी बहुत आवश्यक है. सकारात्मक के साथ साथ, आवश्यकता पड़ने पर नकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी महत्वपूर्ण हैं- "निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाय"
आदरणीय गणेश जी... आपकी बात से शत-प्रतिशत सहमत हूँ, पर कुछ शब्दों से असहमति है! बेहतर हो तो बधाईपरक; कमी हो, तो जानकारीपरक; खराब हो, तो आलोचनापूर्ण; टिप्पणियां अवश्य होनी चाहिएं ! पर अगर नही होती हैं, तो भी इसीसे किसी लेखक का हक जा रहा हो, ऐसा मुझे नही लगता ! यहाँ लेखक के हक की बात आ ही नही सकती, क्योंकि टिप्पणी से सिर्फ लेखक का ही हित नही जुड़ा है, वरन टिप्पणीकर्ता को भी ज्ञानलाभ होता है! ये उभयपक्षी विषय है! अतः 'हक' का प्रश्न ज़रा अटपटा लगता है !
//आदरणीय गणेश जी... आपकी बात से शत-प्रतिशत सहमत हूँ,//
जब शत प्रतिशत सहमत है तो फिर असहमति की बात कहाँ :-)
धन्यवाद ।
आदरणीय बागी जी, मेरा यह मानना है कि लिखने के लिए पढ़ना जरूरी होता है और पढ़ते वक्त यदि कोई रचना आपको झंकृत करती है तो उससे उपजे भाव को दबाना अपने आप पर भी एक अत्याचार की तरह है । अन्य रचनाकारों की रचनाओं पर टिप्पणी देने से मूलत: हम अपना ही भला करते हैं और इसमें कोई गुरेज नहीं होना चाहिए, सादर
आभार आदरणीय राजेश कुमार झा जी ।
//पता नहीं क्यों obo मंच पर REPLY नहीं कर पाता हूँ ।किसी भी रचना या टिप्पणी के reply बटन पर क्लिक करने के बाद reply box खुलता हीं नहीं//
मोबाइल पर हो रही इस समस्या से तकनिकी टीम को अवगत करा दिया जायेगा ।
आदरणीय यह उचित रहेगा। तकनीकी टीम इसका जल्द निवारण करे यह उत्तम रहेगा। वंदना तिवारी जी को भी ऐसी ही समस्या हो रही है।
सादर!
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