Tags:
Replies are closed for this discussion.
आज की यह लघुकथा गोष्ठी शानदार होते हुए भी बेहद उदास सी महसूस हुई कारण हम सबके परम पूज्यनीय हमारे सर जी की लघुकथा का प्रस्तुत ना होना जो हम सब नवांकुरों के उत्साह का कारन बनता था। ऐसा पहली बार हुआ है कि आपकी रचना से विहीन रहा है ये मंच आज। हम सबकी लेखनी को सम्बल आपकी रचनाओं के गहन अध्ययन से ही हो पता है। क्षमा सहित विनम्र निवेदन हम सभी सह भागीदारों की तरफ से। नमन श्री बारम्बार।
इस तरह की अपरिपक्व प्रतिक्रियाओं से अवश्य बचने का प्रयास करें आदरणीया कान्ताजी. सभी के पास अपने-अपने कई कारण हुआ करते हैं अन्यथा कोई उत्तरदायी सदस्य जानबूझ कर मंच से, वह भी आयोजनों से, दूर नहीं होता.
शुभेच्छाएँ.
खेल (लघुकथा)
.
राज्य में हर तरफ अफरा तफरी का माहौल था I प्रजा का गुस्सा पूरे उफान पर था, जगह जगह धरने और प्रदर्शन हो रहे थे I राज्य में अव्यवस्था अपनी चरम सीमा पर थी I इसी स्थिति पर विचार विमर्श करने हेतु राजा ने अपने मंत्रियों और सलाहकारों की एक आपातकालीन बैठक बुलाई थी I
"महाराज ! हर तरफ हाहाकर मचा हुआ है, प्रजा विद्रोह करने पर उतारू हो रही है।" महामंत्री ने हाथ जोड़ते हुए उत्तर दिया
"मगर क्यों महामंत्री जी ? क्या कष्ट है उन्हें ?" राजा के माथे पर चिंता की रेखाएं फैल गईं
"उनका सबसे बड़ा कष्ट है भूख।"
"भूख ? मगर हम तो हरेक नागरिक को दोनों वक़्त रोज़ एक रोटी दे रहे हैं।"
"मगर प्रजा की शिकायत है कि एक रोटी से उनकी भूख शांत नहीं होती।"
"तो प्रजा क्या चाहती है ?"
"उनकी मांग है कि उन्हें दिन में कम से कम दो रोटी मिलनी चाहिए।"
"उनकी ये मजाल ? इन सब हरामखोरों को बंदी बना लिया जाना चाहिए।" एक युवा मंत्री ने उत्तेजित होते हुए सलाह दी I
"किन्तु इस तरह से तो जन आक्रोश और बढ़ेगा।" एक अन्य अनुभवी मंत्री ने युवा मंत्री को समझाते हुए है I
"आप इस राज्य के सब से पुराने मंत्री हैं, आप ही बताएं कि इस संकट से कैसे निपटा जाये?" स्थिति की गंभीरता को परखते हुए राजा ने एक वरिष्ठ मंत्री घाघ जी से प्रश्न किया
"एक उपाय है महाराज !"
"क्या महामंत्री जी?
घाघ जी ने कुटिलता से मुस्कुराते हुए उत्तर दिया:
"हम राज्य में घोषणा करवा देते हैं कि आज से रोटियों की संख्या दोगुनी कर दी जाती है ।"
इस अप्रत्याशित समाधान को सुनकर राजा ने कहा:
"क्या बच्चों जैसी बात कर रहे हैं घाघ जी ? ऐसा करने से तो शाही गोदाम खाली हो जाएंगे।"
"ऐसा कुछ नहीं होगा राजन, आश्वस्त रहें I"
"कैसे नहीं होगा? गेहूँ क्या आसमान से आएगा?"
"यही तो खेल है महाराज, हम केवल रोटियों की संख्या बढ़ाएंगे, गेहूँ का कोटा नहीं।"
.
(मौलिक और अप्रकाशित)
हा हा हा... जय हो !! रोटी की संख्या का बढ़ना लेकिन आटे का कोटा का न बढ़ना .. कमाल !!
इस शतरंजी चाल पर कौन न मर जाये ! आदरणीय योगराजभाईजी, इस लघुकथा प्रस्तुति पर अंधेर नगरी चौपट राजा का ख़याल आ गया. इस लघुकथा को आयोजन के अंतिम पलों में आना लेकिन एक संदेश दे जाना मुग्ध कर गया.
हार्दिक धन्यवाद एवं अशेष शुभकामनाएँ
"यही तो खेल है महाराज, हम केवल रोटियों की संख्या बढ़ाएंगे, गेहूँ का कोटा नहीं।"----जबरदस्त लघुकथा के शानदार आगाज़ ! सधी हुई सटीक और सार्थक लघुकथा बन पड़ी है यह। बहुत दूर का खेल रचाया है बादशाह ने अपनी बिसात में। इस लघुकथा की शिल्प गज़ब है और कथ्य तो है। कहाँ कोई बच पाता है ऐसी बिसातों बिछकर। नमन श्री आपको बारम्बार।
आदरणीय योगराज प्रभाकर सर जी .../\... शायद ये रचना इस उत्सव की अंतिम रचना होगी पर मेरे विचार से इस समारोह की ये बेहतरीन और लाज़वाब कृति है जिसमें एक शब्द भी कहे बगैर विषय को सार्थक कर दिया है और सदियो से चली आ रही शतरंजी बिसात की झलक भी दिखा दी है। इस कालजयी रचना के लिए अनुज की और से आपको दिलदिल से बधाई भाई जी। सादर।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |