परम आत्मीय स्वजन,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २८ सितम्बर दिन बुधवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक ३० सितम्बर दिन शुक्रवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |
अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक १५ जो तीन दिनों तक चलेगा,जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्यअधिकतम तीन स्तरीय गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं | साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ किया जा सकता है |
"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ
( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो २८ सितम्बर दिन बुधवार लगते ही खोल दिया जायेगा )
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मंच संचालक
(प्रधान संपादक)
ओपन बुक्स ऑनलाइन
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इस कदर इतना महीन..! वाह-वाह !
आपका हरेक शे’र जबर्दस्त है. आपके अंदाज़ और पुरकशिश कहन के हम पुराने कायल हैं राजेंद्र भाईजी. दूसरे, आपकी आवाज़ का बास इतना गहरा और ठहराव लिये हुये है कि एक-एक शब्द उभर आता है. सौजन्य अनुज नवीनभाई, बड़े सुकून से सुना है आपको.
एक ग़ुज़ारिश, आपकी ये ग़ज़ल तरन्नुम में आये.
सधन्यवाद.
आदरणीय सौरभ पांडेय जी
प्रणाम !
आप द्वारा प्रदत्त स्नेहाशीष मेरे लिए एक उपलब्धि है …
रही मेरी आवाज़ की बात … अपना क्या है , मां सरस्वती मेरे माध्यम से कुछ करवाती है …
आपकी मेल आई डी मुझे भेजें तो कृपा होगी ।
इस ग़ज़ल को तरन्नुम में गाने का आज तो अवसर ही निकल गया …
( शरद पूर्णिमा के अवसर पर अहमदाबाद में एक कवि सम्मेलन के लिए कोई बात करने आए तो अभी गए हैं :( … )
अरे भाईसाहब हाथ कंगन को आरसी क्या !! .. वैसे भी नवीनभाई से आप रोज़ाना बात करते होंगे न.. .!!
राजेन्द्र जी बड़ी ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने, कोटि कोटि बधाईयाँ स्वीकार कीजिए
धर्मेन्द्र जी
आभार आपका । आपकी ग़ज़ल भी ख़ूबसूरत है …
वाह वा ,,,
आप कहाँ थे सरकार,, महफ़िल सूनी सूनी थी,, आप आये बहार आई
लाजवाब ग़ज़ल कही है,, पढ़ कर आनंद प्राप्त हुआ
हार्दिक बधाई
ज़र्रानवाजी का शुक्रिया वीनस भाई !
पिछले मुशायरों में आपकी ग़ैर हाज़िरी का मैंने उलाहना दिया था :)
आपकी हज़ल भी पढ़ी … मज़ेदार है
//आड़ में मज़हब की , बातें नफ़रतों की जो करे
शर्तिया वो भेड़िया ख़ूंख़्वार होना चाहिए
छेद थाली में करे जो पेट भर लेने के बाद
वह कमीना हिंद का गद्दार होना चाहिए
दुश्मनी को भी छुपाना है हक़ीक़त में ग़लत
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए//
वाह वाह ! आदरणीय राजेंद्र जी ! क्या गज़ब अशआर कहे हैं आपने ......... इनके निमित्त कृपया हार्दिक बधाई स्वीकार करें !
प्रियवर अम्बरीष जी ग़ज़ल के अश्'आर पसंद करने के लिए आभार !
आपकी बधाई सहर्ष साभार स्वीकार है … आपकी ग़ज़ल सहित बहुत सारी रचनाओं तक नहीं पहुंच पाया
# काश यहां तरही मुशायरे के दौरान ऐसा सिस्टम हो कि तीनों दिन हर पल की अपडेट दिखाई जाती रहे कि
अब तक ये ये रचनाकार ग़ज़ल भेज चुके हैं ,
और इस लिंक पर इस रचनाकार की ग़ज़ल देखी जा सकती है
इससे… बाद में पहुंचने वालों को जिस शायर को पढ़ना हो वहां तक पहुंचने में सुविधा रहेगी ,
80-90 पृष्ठों को खंगालने की समस्या नहीं रहेगी ।
स्वागत है मित्र ! आपका सुझाव बेहतर है ! बहुत बहुत आभार मित्रवर !
इस अनुरोध को मान लिया जाए तो सचमुच आभार मानूंगा ।
राजेन्द्र जी,
मुशायरा समाप्त होने के बाद हमारे प्रधान संपादक श्री योगराज जी तरही मुशायरे की समस्त रचनाओं को एकत्रित करके पोस्ट लगते है व मुशायरे की संक्षिप्त समीक्षा भी करते हैं
आप वहाँ पर एक साथ रचना पढ़ सकते हैं और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दे सकते हैं
नए कमेन्ट आने पर रचनाएँ आगे सरकती जाती हैं इसलिए किसी विशेष रचना के लिए निश्चित लिंक दे पाना मुझे तो नहीं लगता ओ बी ओ प्रशासन के लिए संभव होगा
आवश्यक सूचना:-
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