"OBO लाइव तरही मुशायरे"/"OBO लाइव महा उत्सव"/"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता के सम्बन्ध मे यदि किसी तरह की जानकारी चाहिए तो आप यहाँ पूछताछ कर सकते है !
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वीनस जी आपके सुझाव का स्वागत है, आपके द्वारा उस ग़ज़ल को ही यहाँ लगायी गयी थी जिस ग़ज़ल से तरही मिसरा उठाया गया था, सबसे पहले तो मैं उस ग़ज़ल को हटा दिया, क्योकि मूल ग़ज़ल का प्रभाव तरही की ग़ज़ल पर पड़ सकता है |
बहर के बारे में आवश्यक निर्णय प्रधान संपादक जी से विमर्श के पश्चात् लिया जायेगा |
त्वरित प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद 
मुझे विश्वास है कि आप सोच विचार कर सही निर्णय लेंगे 
आभार
"ये मेहनत गाँव में करते तो अपना घर बना लेते"  क्या ग़ज़ल में ये मिसरा भी होना चाहिए शुरू में या बीच में कही भी?
तरही मुशायरेके नियमानुसार दिया गया मिसरा पूरी ग़ज़ल मे कही ना कही मिसरा सानी या मिसरा उला मे आना चाहिए !
"ये (मेह)(नत) गाँ/व में (कर)ते /तो (अप)ना (घर) /बना लेते"
1 2 2 2 / 1 2 2 2 / 1 2 2 2 / 1 2 2 2
मफाईलुन मफाईलुन मफाईलुन मफाईलुन
आदरणीय भाई अश्विनी जी ! उपरोक्त मिसरे को गाकर देखिये पहले रुक्न में पढने में 'ये' लघु अर्थात (१ )ही आयेगा ठीक इसी प्रकार (मेह)नत के 'मे' में मात्रा गिरा कर पढ़ी गयी है इसी प्रकार तीसरे रुक्न में 'तो' कहने में लघु या (१) तथा 'अपना' का 'अप' गुरु अर्थात (२) की तरह प्रयोग किया गया है ! कहने का आशय यह है कि ग़ज़ल में मात्राएँ पढने के अनुसार ही जोड़ी जाती हैं !
ये बहरे हज़ज़ का मिसरा है जिसमे 'मफाईलुन' चार बार आने के कारण इसे 'बहरे हज़ज़ मुसम्मन सालिम' कहते हैं| तकतीई तो अम्बरीश जी ने कर ही दी है|
स्वागत है भाई राणा जी ! आपका बहुत-बहुत आभार मित्र !
वीनस केशरी जी, "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" को हिंदी छंद विशेष करने की कोई योजना नहीं है अपितु जनवरी-१२ से आयोजित होने वाली "ओ बी ओ चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता केवल भारतीय छंद आधारित कर दिया गया है |
ओह,
क्षमा करें,,, वो "चित्र से काव्य तक" वाली बात ही ध्यान की कमी के चलते फिसल कर इस पाले में आ गई थी :)
स्थिति स्पष्ट हुई 
धन्यवाद
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