For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नानी अब बुड्ढी हो गयी

दाँतों में खुड्डी हो गयी l

उसको तू प्यार कर ले

थोड़ी मनुहार कर ले

उँगली पे उसे घुमा के 

थोड़ी तकरार कर ले l 

उसकी तू नाक भींच ले  

चाहें तो कान खींच ले  

हँसके-मुस्काके उससे   

थोड़ा सा माल खींच ले l

गालों पे नाक पोंछ ले  

उसके तू बाल नोच ले

पर गंजी ना हो जाये  

उसका तू हाल सोच ले l

नानी अब बुड्ढी हो गयी

दाँतों में खुड्डी हो गयी l

-शन्नो अग्रवाल 

Views: 847

Replies to This Discussion

हाहाहा शन्नो जी बिलकुल ठीक लिखा है बच्चे नानी के साथ यही तो करते हैं फिर भी नानी उनकी बलाएँ लेती है,उनकी इन  बाल क्रीडाओं पर न्योछावर होती है | मैं भी नानी बन गई हूँ पर दांत अभी सलामत हैं पर बच्चों की हरकतें वही हैं ,मजा आ गया ये बाल रचना पढ़ के बधाई आपको 

राजेश कुमारी जी, आपको बाल रचना सराहने के लिये बहुत-बहुत धन्यबाद. इसमें कल्पना और वास्तविकता का मिश्रण है. मेरी पाँच महीने की नातिन है...यही सब कुछ करती है और लार भरी उँगलियों से नाक, कान, बाल खींचती रहती है. और आपने सही कहा कि नानी बनने पर जरूरी नहीं कि दांत भी टूट जायें...हा हा हा 

आदरणीया शन्नो जी,

बच्चों को नानी बहुत प्यारी लगती है, और बच्चों और नानी के अनोखे निश्छल प्यार जताने या जीने के ढंग को इस बाल गीत में बिलकुल वास्तविता के साथ आपने शब्दबद्ध किया है, हार्दिक बधाई इस गीत के लिए. सादर.

प्राची जी, मेरी बाल-रचना पसंद करने के लिये आपका हार्दिक धन्यबाद :)  

गालों पे नाक पोंछ ले
उसके तू बाल नोच ले
पर गंजी ना हो जाये
उसका तू हाल सोच ले l

शिशुओं की हरकतों को कितना बढिया शब्द रूप दिया आपने, आदरणीया शन्नोजी ! 

बाल रचनाएँ वस्तुतः बाल मनोविज्ञान के अनुरूप रचनाकर्म करने की प्रक्रिया है. आपकी इस रचना के लिए आपको सादर बधाई .. .

सौरभ जी, आपसे अपनी इस बाल रचना पर प्रशंसा पाकर बहुत ही खुशी हुई...आपका बहुत-बहुत धन्यबाद. 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र पर अच्छे दोहे रचे हैं आपने.किन्तु अधिकाँश दोहों…"
11 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"देती यह तस्वीर  है, हम को तो संदेशहोता है सहयोग से, उन्नत हर परिवेश।... सहयोग की भावना सभी…"
14 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"   आधे होवे काठ हम, आधे होवे फूस। कहियो मातादीन से, मत होना मायूस। इक दूजे का आसरा, हम…"
18 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्र को साकार करता बहुत मनभावन गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहावलीः सभी काम मिल-जुल अभी, होते मेरे गाँव । चाहे डालें हम वहाँ, छप्पर हित वो छाँव ।। बैठेंगे…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"दिये चित्र में लोग मिल, रचते पर्ण कुटीरपहुँचा लगता देख ये, किसी गाँव के तीर।१।*घास पूस की छत बना,…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हाड़ कंपाने ठंड है, भीजे को बरसात। आओ भैया देख लें, छप्पर के हालात।। बदरा से फिर जा मिली, बैरन…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । सर यह एक भाव…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया दोहा लेखन किया है आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। बहुत बहुत…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । सुझाव के लिए हार्दिक आभार लेकिन…"
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service