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पढ़ने का टाइम (बाल कविता) - राहुल देवमिल जाय मुझको बस खाना, कपड़ा-लत्ता बड़ी बेकार पढ़ाई यारों पढ़ने-लिखने में मन नहीं लगता काश न होते विद्यालय होते न अध्यापक जो मन आता वो करते हम… Started by Rahul Dev |
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Dec 12, 2013 Reply by Rahul Dev |
गुड़िया का ब्याह ( बाल कविता )सजी सजीली नन्हीं गुड़िया शरमाई आफत की पुड़िया मिल कर उसका ब्याह रचाया मंडप प्यारा खूब सजाया बजती है ढोलक शहनाई मस्ती में बाराती भाई पकवानो… Started by vandana |
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Dec 12, 2013 Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
नया सालनया साल जब आता हैनई उमंगे लाता हैहर गुलशन का भरे चमन काफूल फूल मुस्काता हैहिंदू मुस्लिम सिख ईसाईसबका दिल खिल जाता हैनिर्बल को नव संबल मिलता… Started by NEERAJ KHARE |
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Dec 12, 2013 Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
लोरी (संजू शब्दिता)झिलमिल तारे गाते सारे सोजा सोजा कान्हां रे तेरी ये दो नन्हीं अँखियाँ मेरी सारी दुनिया रे गुनगुन करती निंदिया है आयी परियों के घर से सपने ह… Started by sanju shabdita |
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Nov 30, 2013 Reply by sanju shabdita |
बत्तख और भैंसतालाब की लहराती लहरों में किलकारियां करती हुई भैंस को देख पास में तैरती बत्तख ने पूछा- ''बहन आज बहुत खुश लग रही हो,क्या बात है?'' भैंस-''सच… Started by Vindu Babu |
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Nov 20, 2013 Reply by Vindu Babu |
''चाचा नेहरु''चाचा नेहरु ऐसे थे----! चाचा नेहरु ऐसे थे।। भारत के अमर सपूतों की, अमर रहे वो कहानियां।जिनके बीच खड़े थे नेहरु, ले कानून की बोलियां।।अंग्र… Started by केवल प्रसाद 'सत्यम' |
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Nov 15, 2013 Reply by Shyam Narain Verma |
गुरु का आओ सम्मान करें [शिक्षक दिवस]गुरु का आओ सम्मान करें, उनकी आज्ञा पालें , छात्र जीवन है कच्चा घड़ा, खुद को उन सम ढालें | गुरु का आओ सम्मान करें, ज्ञान का वरदान लें ,… Started by Sarita Bhatia |
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Nov 12, 2013 Reply by Sarita Bhatia |
प्यारे! बादल क्यों रोते हो?प्यारे! बादल क्यों रोते हो? प्यारे! बादल क्यों रोते हो? आसूं से धरा भिगोते हो। तुमको मौसम तनिक न भाया, देखो कितना तोय बहाया।। डूबे खेत-बा… Started by केवल प्रसाद 'सत्यम' |
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Nov 10, 2013 Reply by केवल प्रसाद 'सत्यम' |
सदस्य कार्यकारिणी उत्थानउत्थान (भारत के स्वाधीनता दिवस के 66वीं वर्षगाँठ पर बच्चों के प्रति) बच्चों यह जो आज तिरंगा लहराता यह अम्बर जो आज खुशी के गाता गीत, पूछो… Started by sharadindu mukerji |
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Aug 29, 2013 Reply by बृजेश नीरज |
बाल ग़ज़लअरे बच्चों चलो देखें, नया सर्कस जो आया है। तमाशों का पिटारा इक वो अपने संग लाया है। लिये ढोलक चले ठुम-ठुम बँदरिया झूमती-गाती, चलाता साइक… Started by कुमार गौरव अजीतेन्दु |
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Aug 14, 2013 Reply by vandana |
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