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बाल साहित्य Discussions (213)

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FAIRY AND LITTLE KIDS....

ONCE UPON A TIME, A FAIREY PRINCESS OF HEAVEN THOUGHT TO BLESS THE HEALTHIEST CHILD AT KID’S SCHOOL WITH HEAVENLY BLESSINGS AND LOTS OF GIF…

Started by Dr. Prachi Singh

2 Apr 6, 2012
Reply by Dr. Prachi Singh

ईश्वर की महिमा

प्रस्तुत कविता कक्षा-7 की मेरी छात्रा रितू पाठक ने लिखा है,मैं इस कविता को उसकी अनुमति से यहां पोस्ट कर रहा हूं।उसकी बाल-सुलभ जिज्ञासा,आकां…

Started by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी

2 Mar 3, 2012
Reply by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी

ईश्वर की महिमा

प्रस्तुत कविता कक्षा-7 की मेरी छात्रा रितू पाठक ने लिखा है,मैं इस कविता को उसकी अनुमति से यहां पोस्ट कर रहा हूं।उसकी बाल-सुलभ जिज्ञासा,आकां…

Started by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी

2 Mar 3, 2012
Reply by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी

सदस्य कार्यकारिणी

बुरा ना मानो होली है (बाल गीत)

हल्ला- गुल्ला ,हंसी-ठिठौली  करती आई  टोली है  रंग अबीर से  सब जन खेलो  बुरा ना मानो होली है | स्नेह प्रेम का पर्व है ये तो  एक ही प्रीत की…

Started by rajesh kumari

4 Mar 1, 2012
Reply by rajesh kumari

मेरे पापा

मेरे पापा बड़े सयाने। बाजार गए थे टॉफी लाने॥ टॉफी-वॉफी कुछ न लाए। हाथ झुलाते वापस आए॥ तब मैं उनसे यों कुछ रूठा। मुंह फुलाकर घर में बैठा॥ फिर…

Started by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी

2 Feb 24, 2012
Reply by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी

बचपन मेरा भाग गया है

डूब गया बचपन प्यारा सा डिम हो गयी किलकारी गुड्डे-गुड्डी टूट गए सब फट गई टोपी जरतारी बचपन मेरा भाग गया है क्योंकि जमाना कम्प्यूटर का आ गया ह…

Started by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी

4 Feb 24, 2012
Reply by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी

अजब दशहरा

गजब दशहरा आया रे अजब दशहरा आया रे नयी नयी खुशिया लाया रे देख दशहरा आया रे ......चहु ओर है धूम मची शोर मचे है गली गली बच्चो के संग बूढों काअ…

Started by Yogyata Mishra

2 Feb 22, 2012
Reply by Yogyata Mishra

सदस्य टीम प्रबंधन

झंडा-गीत --- बाल-गीत/ सौरभ

हम झंडा लेकर हाथों में उत्साह भरे हो जाते हैं .. .   यह झंडा मानो जान भरा यह झंडा जानो शान भरा यह झंडा एक निशान सही फहराता  है पर मान भरा  …

Started by Saurabh Pandey

4 Jan 27, 2012
Reply by दुष्यंत सेवक

मेरा कैलेंडर

जनवरी फरवरी ठंडी रानी, अपने रंग दिखाती है गजक, खजूर और मूंगफली, हमको बहुत ही भाती है मार्च अप्रैल लेकर आते गर्मी हलकी हलकी रंग बिरंगे बर्फ…

Started by दुष्यंत सेवक

0 Jan 27, 2012

छोटी सी कहानी

राधा का बाल मन रुआंसा हुआ जा रहा था! उसने दादीमाँ से टीटू भैया की चुगली कर दी थी! "दादी माँ ,टीटू भैया मेरे भैया को मार रहे हैं अन्दर कमरे…

Started by Nutan Vyas

3 Jan 20, 2012
Reply by Deepak Sharma Kuluvi

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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

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मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

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