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दुई लरिका से ज्यादा पैदा न करबे।।

राम कसम हमहू नसबन्दी करौबय।।

रतिया म अपने सैया का मनौबय।।

राम कसम हमहू नसबन्दी करौबय।।

महगा भ कपड़ा साबुन तेल।।

सेंट् पाउडर और फुलेल ..

कहवा से लल्ला का दुधवा पिलौबय।।

राम कसम हमहू नसबन्दी करौबय।।

जो खिलौना से वह खेलेगा।

ल दो मम्मी औसा बोलेगा ..

कहि के सजन से तुरंत करिदौबय।।

राम कसम हमहू नसबन्दी करौबय।।

अच्छे स्कूल में पढौगी।।

सुन्दर से लल्ले को सजौगी।।

संगम म जाय के संग म नहैबय।।

राम कसम हमहू नसबन्दी करौबय।।

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Replies to This Discussion

अच्छा संदेश देती रचना! मेरी बधाई स्वीकारें।

मेरे विचार से चूंकि यह आंचलिक भाषा का समूह है इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि रचना के साथ यह जानकारी भी दी जानी चाहिए कि रचना किस आंचलिक भाषा में लिखी गयी है।

//जो खिलौना से वह खेलेगा।

ल दो मम्मी औसा बोलेगा ..//

इन दो पंक्तियों का अंत खड़ी बोली से है।

अच्छे स्कूल में पढौगी।।

सुन्दर से लल्ले को सजौगी।।

इन दो पंक्तियों का अंत ‘औगी’ से हो रहा है जबकि अन्य पंक्तियों में आपने ‘औबय’ का प्रयोग किया है। इसे ‘पढ़ौबय’, ‘सजौबय’ किया जा सकता था।

श्रीमान जी सादर नमस्कार///

लिखने  कुछ गलती हो गयी है. मै क्षमा चाहता हूँ .. इस कविता को मैंने अवधी में लिखा ,, आगे हम सतर्क हो करके   लिखेगे ...
धन्यवाद//

भइया जयराम जी की! अब एहमां क्षमा मांगै के कौन जरूरत बा। हमहूं अवधिन बोलै वाला अही। हम जानत रहे तबौ पूछे काहे के हुइ सकत है कि मनइ कउनो अउर भाखा मा लिखे होय अउर हम ओका अवधी समझ लेई।

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