हो अम्मा ! बबुरन माँ डिंडिंयाइब I
पै मैय्या तुमरे पास न आइब I
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बाबुल छूटा, सखियाँ छूटी, छूटे भाई -बहना I
जाही को सौप्यों है मैय्या वाही मेरो गहना II
इहै बात से बौरे मन का काहू बिधि समझाiइब
पै मैय्या तुमरे पास न आइब I
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सपनेव टूटे, करमेव फूटे उजरि गयी सब दुनिया I
मोर अभाग न सुधरी मैय्या का करिहै कोउ गुनिया II
पर माई हम तुमरी बिटीवा ,कबहूँ न रिरियाइब
पै मैय्या तुमरे पास न आइब I
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गारिउ सुनिबे, मारिउ सहिबे, पै न पलट कछु कहिबे I
जाही बिधि रखिहैं मोरे विधना हौ ताही विधि रहिबे II
तुमरिन तिन हिठ्ठिनि हौ यहि ते उनके ताब न लाइब
पै मैय्या तुमरे पास न आइब I
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मन मारिब, तन जारिब चाहे मटिया माँ मिलि जाई I
कुलंगार से मोहि जो ब्याहेव उन्ही ते अठिलाई II
हौं यह ड्योढी छाड़ि न मैय्या कहू के पतियाइब
पै मैय्या तुमरे पास न आइब I
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रीति गयी, सब बीति गयी अब चला चली की बेला I
ठाठ यही रह जायेगा सब चंद दिनों का खेला II
जुलुम कैद से छूट के अब तो हरि से लाड लड़ाइब
पै मैय्या तुमरे पास न आइब I
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हो अम्मा ! बबुरन माँ डिंडिंयाइब I
पै मैय्या तुमरे पास न आइब I
(मौलिक व अप्रकाशित )
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विजय सर !
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