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एगो लड़की के बाप हम बानी ,

देखि केतना परेशान हम बानी 

 

 सगरी धन पढ़ाई में ओराइल ,

बेटी पढ़ल बड़ा खुश हम बानी 

 

 बचपन से पढ़वनी मर मर के ,

काहे पढ़वनी सोचत इ हम बानी . 

 

जनम लेते काहे नमक ना चटवनी

बनल दुनिया में बुरबक हम बानी  

 

दूल्हा खोजे में अब अकल हेराइल ,

पढ़ा के परेशान अब हम बानी ,

 

डाक्टर इंजिनियर के अब बात छोड़ी ,

गवार मांगे लाख रोअत हम बानी ,

 

 देखि दहेज़ के  इहे हाल रहल ,

रोये के पड़ी इ कहत हम बानी ,

 

 

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Replies to This Discussion

देखि केतना परेशान हम बानी ....... बिलकुल सत्य,

श्री रवि कुमार गुरु जी, आपसे अनुरोध है कि रचना में टंकण सम्बंधित त्रुटियों को सुधार कर कमेन्ट बॉक्स में डाल दे, आपकी रचना एडिट कर दी जाएगी | त्रुटिपूर्ण शब्द बोल्ड कर दिये गये है |

आपका
सदस्य टीम एडमिन 

dhanyabad sir ji thik kar diya huin

likhal baat sahi ba| agar ahisahi dahej lewe aa dewe kw baat hokhi t bahut bura hoi aawe wala bhawishya|

badhai guru ji|

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