For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अइसन कब होई , "भोजपुरी धारावाहिक कहानी" "पहिलका कड़ी"

भोजपुरी धारावाहिक कहानी

अइसन कब होई
(पहिलका कड़ी)
 
बाबू देवव्रत सिंह आपन जनेऊ के माँजत (घुमाइ-घुमाइ पानी निकालत) मंदिर के सीढ़ी से उतरत रहले तबहीं उनकर कान में आवाज आइल - "राम-राम भाईजी, राम-राम ! ऊ सिर उठा के देखले त सामने अब्दुल मियाँ हाथ जोडले खड़ा रहुअन! देवव्रत सिंह के मुँह से निकलुवे, "आदाबअर्ज, भाईजान !"  दुनु आदमी गला से गला मिल के मंदिर के सोझा चउतरा प जाइके बइठ के बात करे लगलन - "हाँ त अब्दुलभाई सुनावऽ कइसन समाचार बा." ऊ कहलन, "बाबूसाहेब, ऊपरवाला के कृपा से सब बढ़िया बा." बाबूसाहेब माने देवव्रत सिंह सिर हिलावत कहलन, "हाँ, उनकर महिमा बनल रही त कवनो तकलीफ ना होई." अब्दुल मियाँ कहलन, "भाईजी, आपना बचिया खातिर एगो लईका देखले बानी.."  देवव्रत सिंह के चेहरा चमके लागल. ऊ पूछले, "कवना गाँव के हऽ.. का करेला?" "चलीं घरे, सब आराम से बतावत बानी. पेट महाराज कुलबुलाए प लागल बड़न. इनका कुछु चाहीं!" बाबूसाहेब "चलीं" बोल के उठ गइलन आ दुनू आदमी एक ओरि चल दिहलस लोग.
ऊ लोग जइसहीं बाबूसाहेब के दुआर पर पहुँचलन. बाबूसाहेब के लईका प्रकाश अब्दुलमियाँ के गोड़ छूइ के प्रणाम कईलस. ऊ असीरबाद दिहले आ प्रकाश फटाफट चउकी बिछा दिहले. बाबूसाहेब उन्करा के बइठे के बोल के खुदो बइठ गइलन.फेर ऊ प्रकाश के आवाज दिहले, "बबूआ जवन बनल होखे ऊ ले आवऽ. अपना चाचा के खियावऽ." त प्रकाश बोलले, "बाबूजी राउआ ना खायेम का." "हम काहें ना खायेम? हमारो खातिर निकलवावऽ.", सुनि के प्रकश भीतरी चलि गइलन. तब बाबूसाहेब कहलन, "त रउआ का कहत रहनी हाँ कि धरमपुरा के रघुनाथ सिंह के लईका ह, अबहीं पढ़े ला. अब रउए बताईं का पढ़त लइका से बेटिया के बिआह कइल ठीक होई?" अब्दुलमियाँ कहलन, "अरे भाईजी, लइका बीए फ़ाइनल में बा आ ऊ खेती करी. खात-पीयत घर के हऽ अउरी का चाहीं?" नास्ता ले के आवत प्रकाश सब सुन लेले रहले. ऊ कहले, "बाबूजी हम बिजय के बारे में जानत बानी. ऊ बहुते बढ़िया लइका हऽ. सुमन खातिर ऊ बहुत बढ़िया रही." ए पर बाबूसाहेब कहलन, "अच्छा त तू उनके जानत बाड़ऽ. त अब्दुलभाई अब देर कवना बात के? नास्ता कऽ के आजुए चल चलल जाव. बबुआ तुहूँ तैयार हो जा !
तबहीं प्रकाश के माई उहाँ अइली आ बोलली, "कहवाँ जाये के तैयारी करत बनी जी?" बाबूसाहेब कहलन, "अब्दुलभाई बबुनी खातिर एगो लईका देखले बाड़न. ओहिजे जाइब जा हमनी के." ऊ कहली, "ठीक बा. जाईं लोग. बाकिर मुँह मीठ क के जाईं. जा हो प्रकाश जाके भीतरी से लड्डू ले आवऽ."  तबहीं उहाँ एगो थाली में लड्डू लेके सुमन आ गइली. आवते अब्दुलमियाँ आउर अपना बाबूजी के प्रणाम कईली. ऊ लोग असीरबाद दिहल. प्रकाश मजाकिया मूड में कहलन, "लीं चाचा, ई अब राउर सेवा करे लागल ! सुमन लजाइ के भाग गइली. बाबूसाहेब कहलन, "प्रकाश तैयार होके मोटर साईकिल निकालऽ, चलल जाव. ऊ कहलन, "जी बाबू जी ! .............
.
बाकि अगिला अंक में 
.

 

 

Views: 936

Replies to This Discussion

जय हो गुरूजी, बड़ नीमन कहानी बा ........................ उम्मीद करत बानी की आगे भी नीमन लागीI

dhanyabad sir

रविभाई, कहानी के उठान निकहा भइल बा. बेजायँ ना जे भरोसा बन रहल बा. आगहूँ ईहे धार बनल रही.

शुभेच्छा..

 

 

bhaiya kosi hamar rahi ki rauaa log ke biswas par khada utarin

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, सार छंद आधारित सुंदर और चित्रोक्त गीत हेतु हार्दिक बधाई। आयोजन में आपकी…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी,छन्नपकैया छंद वस्तुतः सार छंद का ही एक स्वरूप है और इसमे चित्रोक्त…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, मेरी सारछंद प्रस्तुति आपको सार्थक, उद्देश्यपरक लगी, हृदय से आपका…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, आपको मेरी प्रस्तुति पसन्द आई, आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।"
15 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
16 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय "
16 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी उत्साहवर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार। "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, निज जीवन की घटना जोड़ अति सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, सार छंद में छन्न पकैया का प्रयोग बहुत पहले अति लोकप्रिय था और सार छंद की…"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
18 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service