For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अइसन कब होई , "भोजपुरी धारावाहिक कहानी" "तिसरका कड़ी"

 

तिसरकी कड़ी
.
बियाह अबहीं ना करब बोल के विजय घर के भितरी चलि गइलन. तब रघुनाथबाबू कहलन,  "नया खून बा, चिंता मत करीं जा, सभ ठीक हो जाई. हम आवत बानी".  अतना बोल के ऊ भितरी गइलन. ओने घर के भीतर शांति देवी विजय से कहली,  "बहुत बढ़िया कइलऽ ह बेटा " तबहीं उहवाँ रघुनाथबाबू आगइलन - "का बढ़िया कइलन? समाज में बाप के इज्जत के कवनो ख्याले नइखे इनकरा, लोग का समझी?" शांति देवी कहली, "लोग का कही ओकर चिंता बा, बाकिर घर के कवनो चिंता नइखे "  रघुनाथबाबू सवाल कइलन, "का हम चिंता नईखी करत?" तब ऊ कहली, "राउरो बेटी सेयान होत बिया पहिले ए पऽ धेयान दीं "  रघुनाथबाबू बोललन, "का ध्यान देबे के बा? " ऊ मुँह चमकावत बोलली, "ईहे सोझाई में कुल्हि बिलाइल जा रहल बा. बिना दहेज़ के सादी कलेम, लइकी पसंद आई तऽ? आरे लइकी  काहे ना पसंद आई?  ओकर भाई एतना सुघर बा.. बिना दहेज़ के बिआह ना होई''  "तू त बिना मतलबे के बात सुरु का देलू "  रघुनाथबाबू झँझुआइ के बोललन. एकरा पऽ विजय कहलन, ''रउआ लोगिन आपसहीं में लड़त रहेम आकि हमारो सुनेम?''  रघुनाथबाबू बोललन, "बोलs का बोले के चाहत बाड़ऽ"  एहपर विजय कहलन, ''जब ले बबुनी के सादी ना हो जाई तबले हम सादी ना करब''  रघुनाथबाबू खुस होके कहलन ''इ बात बा त कवनो बात ना. तू चिंता जनि करऽ. पहिले बेटी बिदा कइये के पतोह ले आइब"  तब शांति देवी कहली, "ऊ सब ठीक बा, बाकिर बिना दहेज़ के? ..''  उनका बात के अनसुनी क के रघुनाथबाबू बहिरी निकल गइलन. उहाँ जाइके बतवलन, ''विजय के कहनाम बा जे पहिले बहिन के बिआह होई ओकरा बादे ऊ बिआह करिहन''  एपर अब्दुलमियाँ कहलन,  ''ई तऽ बहुत बढ़िया बिचार बा.  त रघुनाथबाबू हमनी के ई समझीं जा कि ई बियाह पक्का भ गइल?"  "एक दम पक्का" हँसतेहँसत रघुनाथबाबू कहलन. तबहीं उहाँ रामू आइल "मालिक खाना लाग गाइल बा"  रघुनाथबाबू कहलन, "चली लोगिन, खाना खालीं. आउर रउआ लोग के टिपनो दिलवा देत बानीं.  ऊ लोग खाना खा के टीपन लेके चले लागल. तब रामू कहलस, ''मालिक! मलकिनी लइकी के फोटो मँगली हऽ"  देवव्रतबाबू प्रकाश के ओरी देखलन. प्रकाश अपना ऊपर पाकेट में हाथ डाल के एगो खाम निकाल के ''हम जानत रहनी हँऽ, एकर जरुरत पड़ी"  ऊ रामू के हाथ में दे देले. सभ केहू हँसे लागल.फेरु ऊ लोग उहवाँ से बिदा होके चल दिहलस..
.
बाकी अगिला अंक में

 

Views: 914

Replies to This Discussion

कहानी में उत्सुकता बनल बा.

शुभेच्छा

 

dhanyabad bhaiya

जय हो गुरूजी, राउर कहानी क गति (SPEED & STATUS ) दुनु बम -बम बा, बस चऊथा कड़ी क इंतज़ार बा. बहुत -बहुत बधाई.

dhanyabad sir

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service