पांचवा कड़ी
.
पंडित जी देवव्रतबाबू के साथ मंदिर में पूजा कईला के बाद कहले जजमान अब कवनो प्रकार के बाधा न रह गईल, अब राउआ आराम से चली लोग छेका लेके चलल जाव इ पूजा के बाद सब ठीक हो गइल बा तभी उहा प्रकाश आइके कहलन बाबु जी पंडित जी के दुआर पर लेके चली खाना तैयार हो गइल बा , तब देवव्रतबाबू पुछलन अब्दुल भाई और रहीम कहा बा लोग तब प्रकाश बोलले उहा लोगिन दुआर पर तैयार होके बाईठल बानी लोग , तब देवव्रतबाबू कहलन जाके बोला की उ लोग के की हम आवत बानी पंडित जी चली राउओ चले के बा रघुनाथ बाबु किहा उहा के जहिया बबुनी के देखे आइल रहनी ता रौआ के खास कर के बोलावले बानी आउर उहा से चल दिहलस लोग , जिप तैयार रहे सब कोई बईठ गइल रहे गाड़ी चल पडल , इहा रघुनाथ बाबु के घर पर तयारी चालत रहुवे केहू झारू लगावत बा ता केहू पानी छिरकत बा केहू चौकी बिछावत बा एक तरफ खाना बन रहल बा तभी एक आदमी आके रघुनाथ बाबु से पुछालास चाचा हित लोग कव आदमी आई , तब रघुनाथ बाबु कहलन उहा लोगिन के साते आठ आदमी बानी बाकिर आपन पूरा गावं खिलावे के बा , देखा विजय के दुबारा छेका ना होई से कवनो कसार ना छुटे के चाही तभी दूसरा आदमी आइल लाउड स्पीकर कहा लगे मालिक तब एक तरफ ईसारा कर के कहलन वो निम् के पेड़ पड़ बांध दे उ चल गइल तभी उहा विजय आइलन आउर कहलन राउआ के मई बुलावत बारी रघुनाथ बाबु अन्दर गइलन उहा शांति देवी अपना नाम के उल्टा दिखाई देत रहली , रघुनाथ बाबु आते ही कहलन का बात बा काहे परेशान बाडू तब उ कहली रौआ येताना जल्दी कईसे छेका के दिन रख देनी हा आउर दहेज़ का ठीक भइल बा तब रघुनाथ बाबु कहलन दहेज़ कुछ ठीक नइखे भइल जवान दी लोग उहे मंजूर बा पतोह केतना सुन्दर आवत बिया उ ना देखलू हा , उ हाथ घुमा के कहली सुन्दर पतोह चाटल जाई , तभी उहा रामू आके कहलस मालिक हित लोग आ गइल रघुनाथ बाबु बहार निकल गइलन , हित लोग के बढिया सवागत भइल रात में छेका परल छेका में चाँदी के गिलास कटोरा थाली पान कसैली आउर बहुत कुछ इ देख के शन्ति देवी बड़ा खुस भइली विबाह के दिन रखा गइल सुबेरे जब हित लोग के बिदाई होखे लागल तब रामू घर में से एगो सजावल दाऊरा ले के आइल आउर कहलस मलकिनी देली हा खायेक बा बहुरानी खातिर , उ दाऊरा जिप में रखाइल आउर सब कोई चल दिहलस .....
.
बाकी अगिला अंक में
Tags:
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |