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स्वर्गीय पाण्डेय आशुतोष जी के एगो भोजपुरी ग़ज़ल

 
रात के बाद निहिचित बा दिन होई
हो सकेला की उगतो किरिन  होई
 
साथ देहल कठिन ह अंहरिया के
टाहाटह अंजोरिया त फेनु  होई
 
देखींल सींत अरुआ के पतइन पर  
लोर का  ह, ई बतिया यकीन होई 
 
गीत सुनला, सुनवला से होला दरद
बिनु दरद के त जियल कठिन होई
 
कवनो कवनो तरह चल रहल साँस
के बताई की कब इ उरिन होई
 
( पाण्डेय आशुतोष जी हिंदी आ भोजपुरी के सशक्त हस्ताक्षर रहीं. ईहा के मलकौली, बगहा, प. चंपारण, बिहार में  घर बा. ईहा के भोजपुरी के पत्रिका " पुरवैया" डाइजेस्त के प्रकाशन आ संपादन कइनी. मंच से ईहा के खूब सराहना बटोरनी . भारत के सयदे  कोनो मंच होखे जहाँ आपन हिंदी आ भोजपुरी के रचना ना सुनवले होखम.)  
 

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देखींल सींत अरुआ के पतइन पर  
लोर का  ह, ई बतिया यकीन होई 
 
गीत सुनला, सुनवला से होला दरद
बिनु दरद के त जियल कठिन होई
ई लाइन कवनो भी तरह से हिंदी आ उर्दू से पीछे ना बा| राउर बहुते धन्यवाद की उहा के रचना आप हमनी के सम्हने रखालिन|

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