गइल भँइसिया पानी में अब
कइल-धइल
सब बंटाधार !
बान्हब पगहा
रउए ढूँसी
सुखहा मोन्हे मूड़ी ठूँसी
घींच-घाँच ले आईं रउआ
करीं फेर से
चारा-भूँसी !
परल कपारे सपना राउर
भँइस बन्हाइल..
अबकी बार !
कहवाँ-कहवाँ ई धावेले
अपने लीलल पगुरावेले
कतनो कोंचीं
कतनो छान्हीं
अपने मन के सब गावेले
मनमउजी ई भँइस लिआइल
मुहवाँ मारे..
आन्ह दुआर !
रउए देखीं आपन लीला
घर के आँटा कइनीं गीला
खूब पेन्हाइब पाछा, पहिले -
चोत बटोरीं
लागल टीला
कूल्हि कइल्का गोबर कइलस
अपने भँइसी
हऽ सरकार !
*************************
-सौरभ
(मौलिक आ अप्रकाशित)
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