For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इ का हो रहल बा ,
समझ में नइखे आवत ,
का मनमोहन बाबु के,
बुद्धि कही चरे चल गइल बा,
कि उनकर बछरुआ ,
सब के सब बे हाथ हो गइल बा,
एगो राजा साहेब बाडन,
उनकरा बात से अईसन लागेला ,
अगर उ बडका घर में पैदा ना भइल रहते,
त उ कही के ना रहते ,
देखि काल्ह तक बाबा के,
आगे पीछे मंत्री लोग घुमत रहे ,
आज लाज पचावत बा लोग,
दिन के उजाला में शरम लगत बा ,
रात के अँधेरा में आसुगैस
आउर लाठी चलवावत बा लोग,
छिः चुलू भर पानी होखे,
ता डूब मर लोग,

Views: 829

Replies to This Discussion

एह सद्यः प्रस्तुति के कारन आ एह कारन का पाछा के गुस्सा, भाईजी, एकदम से बुझा रहल बा.

मन संवेदना से सराबोर होखे त चारि तारीख के रात दिल्ली में घटल अइसना घटना पर चुप ना रहि सके. बाकिर ईहे कथनिया गद्य रूप में आइल रहित त बहस (डिसकसन) के निकहा बिन्दु सोझा रहित. गद्य के गरिमो के ध्यान राखल जरुरिये बा.

आ,

//आगे पीछे मंत्री लोग घुमात रहे ,
आज लाज पचावत बा लोग ,//

भाईजी, कहवाँ लाज पचावत बा लोग?? ऊ लोग त बेसरमी के हद ले जाइके सगरे घिनही मचवले बा..

गुरु जी, हमनी के पढ़ावल गइल बा कि कमजोर आदमी तुरंत अपना चरम पर यानी औकात पर आ जाला, इ कमजोर सरकार भी आपन औकात देखा दिहलस, इ त अंगरेजवन से चार कदम आगे निकल गइलन सन, जे भी सेंसेटिव दिमाग के लोग बा ओकरा मन में आक्रोश बा आ एकर खामियाजा आज न त काल भुगते के ही पड़ी | 

बहुत ही सुंदर रचना, साधुवाद | 

सबसे पाहिले त राउआ दुनु आदमी के धन्यवाद , रहल बात गुस्सा के त इ गुस्सा वो सब आदमी में आई जे दिल से हिदुस्तानी होखे आउर जे ओसामा के जी आउर कोई भी सन्यासी के ठग कही अउसन परविती के लोग के गुस्सा कहा से आई उहे न बात भइल नामर्द के मर्दानगी के वास्ता देला से कोई फायदा न होई ,
सरकार के हाथ हम सब ही मजबूत कईले बनी. अब रोए से का फ़ायदा होई. हाथ में तलवार हमही पकड़वले बानी. ख़ामियाजा भुगते खातिर तैयार रहीं 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
37 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
55 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
58 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
1 hour ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
1 hour ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service