एगो प्रयास : भोजपुरी "कह मुकरी"
(१)
चोरी छुपे मोहे ताकत बाड़न,
टुकुर-टुकुर निहारत बाड़न,
कहेलन रानी खालs पिज्जा,
ऐ सखी दुलहा, ना रे जीजा !
(२)
रहे से हsमर घर बा उजियार,
जाये से लागे सगरो अन्हियार,
शोभा जईसे माथ के टिकुली,
ऐ सखी दुलहा, ना रे बिजुली !
(३)
मोछ मुड़ा भइलन मोछमुड़वा,
लागस जइसे सलमान के जुड़वा,
बदल गइल अब उनुकर तेवर ,
ऐ सखी दुलहा, ना रे देवर !
(४)
बुढ़ पुरनिया कह बेटा गोहरावे,
लईकन क टोली काका बोलावे,
भर गाँव देला उनुके सम्मान,
ऐ सखी दुलहा, ना रे परधान !
(५)
जेकर मेहनत से सब केहू खाये,
वोकर गुनवा अब केहू ना गाये,
केहू के नइखे तनिको धियान,
ऐ सखी दुलहा, ना रे किसान !
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हमार पिछुलका पोस्ट => भोजपुरी लघु कथा :- धोबी के बकरा
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गणेश,
ई शब्दन का अर्थ बताउन का बहुतय धन्यबाद. अब जाकर तोहार कह्मुकरियाँ समझ में आईं. बहुत निक लागीं..पढ़कर आनंद आइल हमका. हम ई जईसन रचना पहले कबहू ना समझ पाये रहैं :)
अम्बरीश भाई की तरह हम भी बहुत मुदित हुये इन्हें पढ़कर...( इस तरह मुझे कुछ भोजपुरी के शब्द सीखने को मिले)
हमार तरफ से भी तोहके बहुतय बधईयां.
आभार आदरणीया शन्नो दी
subah subah bahut rochak majedar rachna padhne ko mili likhne ka andaaj hi nirala hai samajh me bhi poori aa gai.bahut bahut badhaai apni rachna se Ganesh ji aaj ka din khushmay banaane ke liye.
सराहना हेतु आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी |
आदरणीय बागी बाबू, पैलगी, इ रचना हमका बहुत ही नीक लागले. और बियाहे क जवन दृश्य उपस्थित किये हैं आप, कि दिल बाग़ बाग़ ह्वाई गइल. ऐसा लागल कि हम अपने बस्ती तहसील के कौन गओव म शुभ मंगत गीत सुनत बनी. बहुत बहुत बधाई औ अभिनन्दन.
सराहना खातिर बहुत बहुत आभार राकेश भाई |
धाँसू......ई एकही शब्द निकलल ह....छ गईनी गुरु छा गईनी...मज़ा आ गईल ! चांपि के बधाई बा, महराज ! जय हो !
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