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बतकही ( गपसप ) अंक ३बतकही ( गपसप ) अंक ३ हमके बस से उतरत देख लछुमन भाई जोर से आवाज लगवले प्रणाम गुरु जी, इ का रउआ बाइक से आइल गइल बंद क देनी का ? त हम कहनी… Started by Rash Bihari Ravi |
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May 23, 2011 Reply by Rash Bihari Ravi |
चंदवा डांसर बन गइल "(भोजपुरी कहानी)" चंदवा डांसर बन गइल "(भोजपुरी कहानी) - बृज भूषण चौबे " जब तक पूरा मांग के पइसा ना मिली इ बियाह ना होई " मडवा… Started by Brij bhushan choubey |
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May 22, 2011 Reply by Rash Bihari Ravi |
बतकही ( गपसप ) अंक २बतकही (2) ( गपसप ) लछुमन भाई के चाय के दुकान पर बईठ के हम चाय के चुस्की ले ले के पेपर पढ़त रहनी ह, पेपर में सब जगे दीदी के चर्चा बा , पेपर… Started by Rash Bihari Ravi |
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May 21, 2011 Reply by Rash Bihari Ravi |
" जानत बानी हम "जानत बानी कि हम मंजिल ना हई तोहारजानत बानी की हम रास्ता भी ना हई तोहारपर कुछ देर त साथ चलल रहनी जा हम-तुकुछ देर त एक दुसरा के सुख-दुख बँटल… Started by Raju |
0 | May 20, 2011 |
हम सोचिला कभीStarted by R. K. PANDEY "RAJ" |
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May 20, 2011 Reply by Raju |
भोजपुरी में पहिलका कार्टून मूवी : "पंडित अउर तीन ठग"सभे सदस्यगण के प्रणाम, का करीं दिमाग में कुछ ना कुछ घुमात रहेला, कभी कुछ करे के ता कभी कुछ करे के, भोजपुरी खातिर जेतना भी करीला ओकरा से सं… Started by R. K. PANDEY "RAJ" |
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May 20, 2011 Reply by Raju |
छोड़ के पिजरवा पराय गईलू चिरई|छोड़ के पिजरवा पराय गईलू चिरई | सबहीं के सनेहिया भूलाय गईलू चिरई | निक नाही लागे अब त घरवा अंगनवा, तोहई के खोजे घूमि चारो और मनवा | कवनी खो… Started by आशीष यादव |
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May 20, 2011 Reply by Raju |
ई ह भोजपुरिया पुड़ी. . . . . . . . . . . . . . . . .ई ह भोजपुरिया पुड़ी, एकर अकार 12 इंच के डायमीटर के होला. खाए में बहुत ही मोलायम होला आ एह पुड़ी के मोकबला कवनो पुड़ी ना कर सकस. गरम गरम खाय… Started by R. K. PANDEY "RAJ" |
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May 20, 2011 Reply by Raju |
मुख्य प्रबंधक हल्की फुल्की हँसी की बात (भाग-६ ) / गनेश जी "बागी"गुरु जी आज कोलकत्ता से घरे आवत रहलन ह,त छपरा स्टेशन पर मुसाफिर खाना मे बईठ एकमा जाये वाली गाडी के ईन्तजार करत रहलन, बगल मे एक आदमी अउर बईठल… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
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May 20, 2011 Reply by Raju |
"चाहेनी तोहके केतना हम कह नइखी सकत"चाहेनी तोहके केतना हम कह नइखी सकत दूर तोहसे एक पल हम रह नइखी सकत ज़िनगी में त होला बहुते गम मगर गम-ए-जुदाई हम सह नइखी सकत चाहेनी तोहके केतन… Started by Raju |
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May 20, 2011 Reply by Raju |
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