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भोजपुरी साहित्य Discussions (247)

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हमरा देशवा के बड़ाई हमके निक लागेला,

निक लागेला हमके निक लगेला , हमरा देशवा के बड़ाई हमके निक लागेला, सुनले बानी लोग कहेला इ रहे सोना के चिड़िया, पहिले मुग़ल फिर अंग्रेज एके मिटव…

Started by Rash Bihari Ravi

0 Jun 3, 2011

तू जवन मन करे उ कर ल ,

तू जवन मन करे उ कर ल , बाकिर हम अपना मन के करबे करब  , चाहे तू जेतना उड़ ल , तोहार पंख के हम रंगबे करब , तू अपना के होशियार बुझेल , तोहार ह…

Started by Rash Bihari Ravi

1 Jun 2, 2011
Reply by Neelam Upadhyaya

बतकही ( गपसप ) अंक ४

बतकही ( गपसप ) अंक ४  हम जइसे लछुमन भाई के चाय दुकान पर पहुचनी लछुमन भाई फटाक से पेपर हमारा के देदेले , लागत रहे जइसे उ हमार इंतजार करत रहू…

Started by Rash Bihari Ravi

4 Jun 1, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

बतकही ( गपसप ) अंक ३

  बतकही ( गपसप ) अंक ३   हमके बस से उतरत देख लछुमन भाई जोर से आवाज लगवले प्रणाम गुरु जी, इ का रउआ बाइक से आइल गइल बंद क देनी का ? त हम कहनी…

Started by Rash Bihari Ravi

2 May 23, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

चंदवा डांसर बन गइल "(भोजपुरी कहानी)

" चंदवा डांसर बन गइल "(भोजपुरी कहानी)                            - बृज भूषण चौबे " जब तक पूरा मांग  के पइसा  ना मिली इ बियाह ना होई "  मडवा…

Started by Brij bhushan choubey

2 May 22, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

बतकही ( गपसप ) अंक २

बतकही (2) ( गपसप ) लछुमन भाई के चाय के दुकान पर बईठ के हम चाय के चुस्की ले ले के पेपर पढ़त रहनी ह, पेपर में सब जगे दीदी के चर्चा बा , पेपर…

Started by Rash Bihari Ravi

8 May 21, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

" जानत बानी हम "

जानत बानी कि हम मंजिल ना हई तोहारजानत बानी की हम रास्ता भी ना हई तोहारपर कुछ देर त साथ चलल रहनी जा हम-तुकुछ देर त एक दुसरा के सुख-दुख  बँटल…

Started by Raju

0 May 20, 2011

हम सोचिला कभी

Started by R. K. PANDEY "RAJ"

1 May 20, 2011
Reply by Raju

भोजपुरी में पहिलका कार्टून मूवी : "पंडित अउर तीन ठग"

सभे सदस्यगण के प्रणाम, का करीं दिमाग में कुछ ना कुछ घुमात रहेला, कभी कुछ करे के ता कभी कुछ करे के, भोजपुरी खातिर जेतना भी करीला ओकरा से सं…

Started by R. K. PANDEY "RAJ"

2 May 20, 2011
Reply by Raju

छोड़ के पिजरवा पराय गईलू चिरई|

छोड़ के पिजरवा पराय गईलू चिरई | सबहीं के सनेहिया भूलाय गईलू चिरई | निक नाही लागे अब त घरवा अंगनवा, तोहई के खोजे घूमि चारो और मनवा | कवनी खो…

Started by आशीष यादव

6 May 20, 2011
Reply by Raju

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Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
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Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
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