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मौत एगो सत्य ,मौत एगो सत्य , जवन सवीकार नइखे , आई निश्चित बा , बाकिर बुझात नइखे , मौत एगो सत्य , जवन सवीकार नइखे , बचपन खेल कूद में , जवानी बीतल मस्ती मे… Started by Rash Bihari Ravi |
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Oct 28, 2010 Reply by Rash Bihari Ravi |
भोजपुरीया अब गुरु रहिआन ,भोजपुरीया अब गुरु रहिआन , आउर कही इ लिखिहन ना , हरदम सजग रहिआन , दू पार्ट में अब पिसाये से बचिहन , आपन भाषा आपन बोली , हम सबका के समझाइब ,… Started by Rash Bihari Ravi |
0 | Oct 21, 2010 |
मेहमान देव के स्वरुप होले ,सुनले रहनी हम , मेहमान देव के स्वरुप होले , आवस ता उनके बईठाइ , खुबे बढ़िया जेवाई , इ सब कईला से प्रभु खुश होले , मेहमान देव के स्वरुप होले… Started by Rash Bihari Ravi |
0 | Oct 21, 2010 |
आउर उ रूस गईले ,आउर उ रूस गईले , संभावना हमेशा से बनल रहे , काहे की दिल बड़ा कमजोर होला , हल्का सा कडक बर्दास्त न करेला , मजाक में कहल गइल छोट बात , भी गड़… Started by Rash Bihari Ravi |
0 | Oct 20, 2010 |
पढ़ा के काम हम अच्छा कईनी ,पालपोस के बड़का कईनी , हम इ गजब का कर देहनी , दहेज ज्वाला में जलत बनी , जनमते कहे ना मुआ देहनी , सोचनी बेटी आउर बेटा में , अब कवनो अंतर नइख… Started by Rash Bihari Ravi |
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Oct 15, 2010 Reply by आशीष यादव |
गुरु जी के मान बतिया जीवन बदल जाई,गुरु जी के मान बतिया जीवन बदल जाई, आज नाही बाबु दू चार साल बादे बुझाई , खायल रोज गुटका तुहू बाबु मन लगाइके , साझ ले तिस चालीस रूपया बिलवाइ… Started by Rash Bihari Ravi |
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Oct 12, 2010 Reply by Rajesh Kumar Singh |
माता पूजे सांवरी सजनिया ( नवरात पर)माता पूजे सांवरी सजनिया ( नवरात पर) रुन्नू झुन्नू बाजे पैजनिया - माता पूजे सांवरी सजनिया. रहिला ( चना ) के दाल भरल पुड़िया पकवली. गु ड़ के… Started by satish mapatpuri |
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Oct 11, 2010 Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
बबुआ हो तनी घूम जाईता ,बबुआ हो तनी घूम जाईता , फोनवा पे का हम सुनाई , खपरा फूटल छान के बाटे , सोच कईसे हम बनवाई , चार साल से तू ना आईला , बहुआ के लेके जबे तू गईला… Started by Rash Bihari Ravi |
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Oct 7, 2010 Reply by Rash Bihari Ravi |
कैसे बुझी गरीबन के गुरु पेट के आग ,देखि मचल बाटे इहा भागमभाग , केहू उरावत बा बिना बतलब के , केहू मतलब खातिर खोजत बा , केहू के हिस्सा में कुछुओ नाइखे , केहू मरत बा बुझावे खाति… Started by Rash Bihari Ravi |
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Oct 6, 2010 Reply by Neelam Upadhyaya |
काहे ना इ राउआ बुझात बा ,हमनी के खाएके नइखे मिळत , अब जिआल मिस्किल हो रहल बा , बाह रे हिंद के शासक , हम खाइला बिना मरत बनी , तोहार आनाज सड़त बा , सडा के तू मांगवइबा… Started by Rash Bihari Ravi |
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Sep 21, 2010 Reply by Neelam Upadhyaya |
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