यह सच है कि दुःख में इंसान भगवान् को सच्चे मन से याद करता है इसीलिए द्रोपदी ने एक बार कृष्ण से अपने लिए दुःख का वरदान माँगा था ताकि हे कृष्ण मै तुझे कभी भी न भूलू .यही भक्त सुदामा के साथ था गरीबी उन्हें कभी कृष्ण को भूलने नहीं देती थी इसलिए बंधुओ दुःख में कभी भी घबराएं नहीं क्यों कि यह दुःख ही है जो आपको इश्वर के करीब ले जाता है.
मै देता हूँ दुःख को बधाई |
दुःख न होता याद न आता ,
मुझको मेरा साईं |
मै देता हूँ दुःख को बधाई |
सुख- सुबिधा भरपूर मिली तो,
ध्यान न उसका आया |
थोड़ा दुःख पाते ही मैंने,
मन चरणों में लगाया |
भूल गया था मै इश्वर को ,
दुःख ने याद दिलाई |
मै देता हूँ दुःख को बधाई |
अब तक था मै सब का प्यारा ,
अब मै बना हूँ रब का दुलारा |
जग ने जब मुझको दुत्कारा,
रब ने तब मुझे दिया सहारा |
जग को छोड़ा रब को पाया
दुनिया लगी पराई |
मै देता हूँ दुःख को बधाई |
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