For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे मन  मधुबन में आओ-२-
श्याम हम झूला झूलें रे 


प्रेम के हिंडोले पर मुझको बिठाकर
श्याम प्रीत की पींगे बढ़ावो रे
श्याम हम .............................


रास रंग में मुझको रंगाकर
श्याम प्रीत की माँग सजावो रे
श्याम हम.................................

डर डर जाऊं जब मैं वैरागन 
श्याम प्रेम से गले लगावो रे
श्याम हम ........................

Views: 444

Replies to This Discussion

प्रिय वन्दना जी, नमस्कार! 

 

आप की प्रथम पंक्तियाँ पढ कर मुझे लगा कि ये तो मेरी अपने हृदय की स्वर लहरियाँ हैं. अभी तक मैं इस धार्मिक साहित्य की परिचर्या में समयाभाव वश सम्मिलित नहीं हो पाया था. पर आपकी पहली पंक्ति ने सब छोड़ कर आपकी कविता पढने के लिए वरवस खींच सा लिया. यद्यपि शेष पंक्तियों में उस अभिनव आध्यात्मिक आकर्षण को उतना बढ़ावा नहीं मिला पाया पर ...आपकी आत्मा उनके इर्द  गिर्द ही है.. और  जब उनका भाव भी आ जाए,  कृपा  होजाए तो क्षण भर में राधा व कृष्ण एक हो जाते हैं...  इस भाव में सहयोग देने के लिए यथा शीघ्र शायद में भी कुछ लिख बैठूँ..तब तक आप मेरी कुछ कविताओं की पैंग( झूले के झोटे में) में  और भी झूल सकतीं हैं ..और शायद उन्हें और निकट से देख पायें.. कुछ इस स्तंभ पर भी पोस्ट करूँगा..

जो आप लिख रहीं हैं उसे भी बढ़ातीं चलें..

 

 शुभ कामनाओं  सहित उन्हीं को समर्पित

 

गोपाल बघेल 'मधु'

टोरोंटो, ओंटारियो, कनाडा

 

आध्यात्मिक प्रवंध पीठ  

अखिल विश्व हिंदी समिति 

 

www.GopalBaghelMadhu.com;

www.YouTube.com/GopalBaghel

http://www.youtube.com/watch?v=cq0EHTOf7kU

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service