For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

  

             छुधित  गरुण ने डैने फैलाये  I  एक लम्बी उड़ान भरी  I  नीचे हिमालय  का नीरव साम्राज्य था  I  अचानक उन्हें एक भयानक  भुजंग  दिखाई दिया I  सर्प तरुण था  i त्वचा काली और चिकनी थी I  काया बलिष्ठ  थी I  यह एक उत्तमं आहार हो सकता था  I  गरुण ने निश्चय किया  I  फिर एक जोरदार झपट्टा मारकर उसे उठाना चाहा I सर्प अधिक चपल था या फिर वह गरुण का इरादा भांप गया था  I उसने तत्काल समीपस्थ एक विवर में शरण ले  ली I  गरुण के लिए विवर में प्रवेश करना असंभव था  I  अतः उन्हें बड़ा छोभ  हुआ  I  वे छुघा शांति हेतु किसी अन्य दिशा में चले गए I   पर्याप्त समय व्यतीत हो जाने पर वातावरण की सुरक्षा का विनिश्चय कर वह डरता हुआ विवर से बाहर आया  I  किन्तु उसका संकट दूर नहीं हुआ I एक विशालकाय आकृति  ने उसे उठाकर अपने गले में  डाल  लिया  i वहा उसे घंद्र-दर्शन हुए  i माँ गंगा में लोटकर उसका भय ओर श्रम जाता रहा I  वह आकृति  कुछ और नहीं साक्षात् भगवान  शिव थे Iशिव की ग्रीवा से आती गंध से वह समझ गया वहा हलाहल है I अर्थात उसके अपने विष की तो वहा कोई गणना ही नहीं है  I

               इस घटना को बीते पर्योप्त समय हो गया I  अचानक शिवलोक में हलचल मची  कि  बैकुंठ से भगवान  विष्णु  पधारने वाले है I उनके स्वागत की तैयारिया होने लगी  I नंदी ने श्रृंगार किया  I शिवगणों  ने वेश-भूषा  ठीक की I  स्वयं  शंकर ने  अपना साज सजाया I  निर्धारित समय पर गरुणवाहन  भगवान  विष्णु वहा पधारे  I  शिव ने उनकी पूजा-अर्चना आदि कर उनका आतिथ्य पूर्ण किया I  फिर वे  आपस में वार्ता करने हेतु प्रवृत्त हुए I अब  गरुण ने देखा भगवान  शिव के गले में वही सर्प था जो उस  दिन उनका आहार होने से बाल-बाल बचा था I सर्प उन्हें देखकर मुस्कराया और विनम्रतापूर्वक बोला -' कहिये गरुण  जी ,क्या हाल -चाल  है  ?' 

              गरुण को लगा सर्प उनका उपहास कर रहा है  I  वे मन ही मन बहुत तमतमाए I  पर अब वे कुछ  कर नहीं सकते थे  I  वह विषधर  सीना ताने  निर्भय अपनी जिह्वा लपलपा  रहा था  I  जीव  ईश्वर की शरण में था  I

              गरुण जी को भगवान् के शब्द याद  आये------'मामेकं शरणम् व्रज '

 

 

(काल्पनिक कथा )

मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 452

Replies to This Discussion

आदरणीय गोपाल नारायण जी बहुत ही सुंदर लघु कथा , संदेश संप्रेषित करती हुई कथा हेतु बधाई स्वीकारें । सादर 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service