For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रतियोगिता परिणाम: "चित्र से काव्य तक" अंक-१२

प्रतियोगिता परिणाम: "चित्र से काव्य तक" अंक-१२

नमस्कार साथियों,

"चित्र से काव्य तक" अंक -१२ प्रतियोगिता से संबधित निर्णायकों का निर्णय आपके समक्ष प्रस्तुत करने का समय आ गया है | हमेशा की तरह इस बार भी प्रतियोगिता का निर्णय करना अत्यंत कठिन कार्य था जिसे हमारे निर्णायकों श्रीमती सीमा अग्रवाल व श्री नीरज नें अत्यंत परिश्रम से संपन्न किया है जिसके लिए हम उनका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं |

दोस्तों ! इस बार का चित्र भी पिछली प्रतियोगिता से सम्बंधित चित्र की तुलना में कुछ कम प्रभावशाली नहीं रहा..... जिस पर आधारित रचनाओं के माध्यम से हमारे साथियों नें अपनी सरहद के रणबांकुरों को बहुत मान दिया है | लगातार तीन दिनों तक चली इस प्रतियोगिता के अंतर्गत कुल ८८८ रिप्लाई आयीं हैं  जो कि संतोषजनक हैं | इस हेतु सभी ओ बी ओ सदस्य बधाई के पात्र हैं |

इस प्रतियोगिता के अंतर्गत अधिकतर  कुंडलिया , दुर्मिल सवैया,  मत्तगयन्द सवैया, मालिनी छंद, दोहा, घनाक्षरी, तोटक, तोमर, सोरठा, वीर छंद, चौपाई आदि अनेक विधाओं में छंद प्रस्तुत किये गये, पिछली बार की तरह इस बार भी छंदों की कुछ ऐसी रसधार बही कि सभी कुछ छंदमय हो गया|  इस प्रतियोगिता में समस्त प्रतिभागियों के मध्य, आदरणीया सीमा अग्रवाल जी, आदरणीय संजय मिश्र 'हबीब' , डॉ० ब्रजेश त्रिपाठी, धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’,  व आदरणीय गणेश जी बागी, आदरणीय योगराज प्रभाकर जी व  आदरणीय धर्मेन्द्र शर्मा जी आदि  ने अंत तक अपनी बेहतरीन टिप्पणियों के माध्यम से सभी प्रतिभागियों व संचालकों के मध्य परस्पर संवाद कायम रखा तथा तथा प्रतिक्रियाओं में छंदों का खुलकर प्रयोग करके इस प्रतियोगिता को और भी रुचिकर व आकर्षक बना दिया | आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , श्री गणेश जी बागी, श्री धर्मेन्द्र कुमार सिंह (सज्जन), श्री संजय मिश्र 'हबीब' जी, आदि नें भी प्रतियोगिता से बाहर रहकर मात्र उत्साहवर्धन के उद्देश्य से ही अपनी-अपनी स्तरीय रचनाएँ पोस्ट कीं जो कि सभी प्रतिभागियों को चित्र की परिधि के अंतर्गत ही अनुशासित सृजन की ओर प्रेरित करती रहीं, साथ-साथ सभी नें अन्य साथियों की रचनायों की खुले दिल से निष्पक्ष समीक्षा व प्रशंसा भी की जो कि इस प्रतियोगिता की गति को त्वरित करती रही | प्रसन्नता की बात यह भी है कि अभी-अभी हाल में ही ओ बी ओ से जुड़े हमारे नए सदस्य इस प्रतियोगिता को लेकर बहुत उत्साहित हो रहे हैं !

बंधुओं ! अत्यंत हर्ष का विषय यह है कि चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता छंदबद्ध होकर अपेक्षित गुणवत्ता की ओर अग्रसर हो रही है...........

इस यज्ञ में काव्य-रूपी आहुतियाँ डालने के लिए सभी ओ बी ओ मित्रों का हार्दिक आभार...

प्रतियोगिता का निर्णय कुछ इस प्रकार से है...

_______________________________________________________________________

प्रथम पुरस्कार रूपये १००१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company

 प्रथम स्थान : पर श्री दुष्यंत सेवक जी  के दोहे प्रतिष्ठित हुए हैं |

 (१)

श्री दुष्यंत सेवक

‘दोहे’

१.विपदा जैसी भी रहे, कर्मवीर तैयार |

मानव की सेवा करै, दुश्मन का संहार ||

२. थर थर काँपे धारिणी, नदिया छोड़े तीर |

राहत और बचाव में, सदा अग्रणी वीर ||

३. अरिमर्दन को हैं डटे, भारत माँ के पूत |

मन साहस की खान है, तन में शक्ति अकूत ||

४. दीवाली होली गई, सीमा पर ही बीत |

क्रिसमस राखी ईद की, वहीँ निभाई रीत ||

५. हिम आच्छादित श्रृंग या, मरु की तपती रेत |

प्रहरी ये प्राचीर के, रहते सदा सचेत ||

 ___________________________________________________________________

द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali

A leading software development Company

द्वितीय स्थान ;  पर श्री विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी की चौपाई विराजमान हैं | 

चौपाई-
(प्रत्येक चरण में 16-16 मात्रायें, चरण के अंत में गुरू वर्ण आवश्यक)

देस क वीर करैं रखवारी। ज्यों सुत को राखै महतारी॥
सहैं सीत औ सीतल पौना। अम्बर छत धरती है बिछौना॥1॥
दुर्गम मार्ग कठिन है जीना। किन्तु खड़े ये ताने सीना॥
भारत रक्षा लक्ष्य प्रधाना। चाहे रहै जाय या प्राना॥2॥
जब लग रहै सरीर म सांसा। वीर करैं बैरी कै नासा॥
हर विपदा में आवें कामा। सीस कफन केसरिया जामा॥3॥
देव करै या मनुज बनावे। चाहे जइसन आफति आवे॥
बैरी बाल क बंधक कीने। वीर बांकुरा जाय के छीने॥4॥
मन मा मोद मनहि मुस्काई। चले सौंपने गोंद उठाई॥
लो बालक पकरौ महतारी। सिरजौ सुत सनेह सम्भारी॥5॥
पोछौ आपन आंसू माता। हमरे रहत न चिंतक बाता॥
बालक मुदित वीरता भारी। बनि सैनिक हम कर्ज उतारी॥6॥
_________________________________________________________________

तृतीय पुरस्कार रुपये २५१/-  व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala

A leading publishing House

तृतीय स्थान : श्री अरुण श्रीवास्तव जी के ‘कुंडलिया’ छंद को जाता है |

कुंडलिया

हरने विपदा आ डटे , अडिग हौसले साथ

दीप सुरक्षित देश का , है  सूरज  के हाथ

है सूरज  के  हाथ , पोछते  भीगे  लोचन

कहती माँ की गोद ,नमन हे संकट मोचन

हो जब अरि से रार ,साजते हैं निज गहने

प्राण  बचाते  हाथ , प्राण लगते  हैं  हरने

प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के उपरोक्त सभी विजेताओं को सम्पूर्ण ओ बी ओ परिवार की ओर से हार्दिक बधाई व साधुवाद...

प्रथम व द्वितीय स्थान के उपरोक्त दोनों विजेता आगामी "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१३   के निर्णायक के रूप में भी स्वतः नामित हो गए हैं, तथा आप दोनों की रचनायें आगामी अंक के लिए स्वतः प्रतियोगिता से बाहर होगी |

जय ओ बी ओ!

अम्बरीष श्रीवास्तव

अध्यक्ष,

"चित्र से काव्य तक" समूह

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार

 

Views: 3637

Replies to This Discussion

प्रतियोगिता के निर्णायक मण्डल के सदस्यगण गहन और एकसुर प्रयास के साथ एक बार पुनः निर्विवाद निर्णय लेकर उपस्थित हुए हैं. विजेतात्रय भाई दुष्यंतजी, भाई विंध्येश्वरीजी तथा भाई अरुणजी को मेरी हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ. 

आदरणीय अम्बरीषभाईजी को उनके इस महती संचालन हेतु मेरा सादर नमन तथा हृदय से बधाइयाँ.

स्वागत है आदरणीय भाई सौरभ जी ! सराहना हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद मित्रवर !  इस प्रतियोगिता के आयोजन व सञ्चालन में आपका भी अद्वितीय सहयोग है ! सादर

आदरणीय, हम आपकी सहृदयता के आभारी हैं.

आदरणीय अम्बरीश सर, आपके सान्निध्य में यह मंच निरंतर अपनी अपेक्षित सफलता की ओर अग्रसर हो रहा है.. कुशल सञ्चालन और सधी हुई टिप्पणियों एवं छंद ज्ञान में अभिवृद्धि करने के लिए आपको नमन एवं हार्दिक आभार

स्वागत है भाई दुष्यंत जी !

पूज्य गुरूदेव (सौरभ जी) को प्रणाम!यह पुरस्कार आपके श्री चरणों में समर्पित है।जो आपकी कृपा से प्राप्त हुआ है।द्वितीय विजेता चुनने के लिए मैं निर्णायक मंडल को हार्दिक धन्यवाद देता हूं।मंच संचालक श्री अम्बरीष जी,ओ.बी.ओ. प्रबंधन एवं परिवार को साधुवाद।
सादर।

विन्ध्येश्वरी जी !आपको हार्दिक बधाई हो भाई जी !

हार्दिक आभार भाई जी!

भाई विंध्येश्वरीजी, आपकी जागरुक संलग्नता, सतत प्रयास और साहित्यिक समझ आपकी सफलता का कारण है. हम सभी इस मंच पर समान हैं और एक दूसरे से सीखते और जानकारियाँ प्राप्त करते हैं.  इस अनूठे मंच का सात्विक वातावरण और सत्संग हम सभी सदस्यों के निरंतर अग्रसरित होने का कारण है. आपका नम्र स्वभाव अभिभूतकारी है, भाई.  सहयोग बना रहे. 

प्रतियोगिता में चयनित होने हेतु पुनः मेरी हार्दिक बधाई.

विन्ध्येश्वरी जी.. आपको हार्दिक शुभकामनायें.... 

आदरणीय सौरभ सर... हार्दिक धन्यवाद इस बार तो आपके अनुज होने की पदवी एवं गौरव भी मुझे प्राप्त हो गया है जो अपने आप में एक पुरस्कार है.. हार्दिक धन्यवाद :))

तीनों विजेताओं  को हार्दिक बधाई |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
11 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service