For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१६  

नमस्कार दोस्तों !

इस बार की चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक-१६ में आप सभी का हार्दिक स्वागत है | रिमझिम बरसात के मौसम में ठंडी-ठंडी फुहार से युक्त सावन की मस्ती का प्रतिनिधित्व करता हुआ इस बार का नयनाभिराम चित्र अपने आप में अनमोल है जिसे हमारे विद्वान प्रतिभागियों द्वारा अनेक रूप में चित्रित किया जा सकता है |

साथियों! इस साल की भयंकर गर्मी झेलने के बाद जैसे ही सावन की ठंडी-ठंडी फुहारें आयीं वैसे ही अधिकतर बागों में झटपट झूले पड़ गए अब इन झूलों पर झूलने वालों को बचपन जैसी मस्ती तो आनी ही है    

मधुर सावनी है यहाँ, ठंडी मस्त फुहार.

मौसम की हैं मस्तियाँ, प्रियतम से अभिसार..

आइये तो उठा लें अपनी-अपनी लेखनी, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण, और हाँ.. पुनः आपको स्मरण करा दें कि ओ बी ओ प्रबंधन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यह प्रतियोगिता सिर्फ भारतीय छंदों पर ही आधारित होगी, कृपया इस प्रतियोगिता में दी गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों से पूर्व सम्बंधित छंद के नाम व प्रकार का उल्लेख अवश्य करें | ऐसा न होने की दशा में वह प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार की जा सकती है | 

प्रतियोगिता के तीनों विजेताओं हेतु नकद पुरस्कार व प्रमाण पत्र  की भी व्यवस्था की गयी है जिसका विवरण निम्नलिखित है :-

"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता हेतु कुल तीन पुरस्कार 
प्रथम पुरस्कार रूपये १००१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company 

 

द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali

A leading software development Company

 

तृतीय पुरस्कार रुपये २५१
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala

A leading publishing House

नोट :-

(1) १४ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १५  से १७ तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट करने हेतु खुला रहेगा |

(2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत है, अपनी रचना को"प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करे | 

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना पद्य की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक कृतियां ही स्वीकार किये जायेगें | 

विशेष :-यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें|  

अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१६ , दिनांक १५ जुलाई  से १७ जुलाई   की मध्य रात्रि १२ बजे तक तीन दिनों तक चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन पोस्ट ही दी जा सकेंगी साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |

मंच संचालक: अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 15282

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय एडमिन /मंच संचालक महोदय,
प्रतियोगिता से बाहर रह कर,  पहली बार छन्न पकैया में प्रयास किया है. इसे ओ बी ओ के पावन मंच को सादर समर्पित कर रहा हूँ


छन्न पकैया - छन्न पकैया, सुनो बहन के भैया
हमें सिखाओ हमें सिखाओ, लिखना छन्न पकैया  

छन्न पकैया - छन्न पकैया, कल तक प्यासी मरती
बरस गये जब बदरा इस पर, तृप्त हो गई धरती

छन्न पकैया - छन्न पकैया,  झूला झूले गोरी
छाने छाने, चुपके चुपके, देखो चोरी चोरी

छन्न पकैया - छन्न पकैया, फोटो बड़ी सुहानी
यों लगता ज्यों रुक्मिणी संग, झूले राधा रानी

छन्न पकैया - छन्न पकैया, चितवन जिनकी बाँकी
मन में लड्डू फूट पड़े जब, देखी उनकी झाँकी

छन्न  पकैया - छन्न पकैया, रोको ये रंगरलियाँ
वरना मेरे मन में भी मच जायेंगी खलबलियाँ

छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों नहीं जगते लोग
मजदूरों को फाका, नेता भोगे छप्पनों भोग

___अलबेला खत्री

छन्न पकैया - छन्न पकैया, फोटो बड़ी सुहानी 
यों लगता ज्यों रुक्मिणी संग, झूले राधा रानी 

छन्न पकैया - छन्न पकैया, चितवन जिनकी बाँकी 
मन में लड्डू फूट पड़े जब, देखी उनकी झाँकी 

आज न छोड़ेंगे हम हमजोली ..लिख मारेंगे पिचकारी हर विधा पे गोरी ....जय श्री राधे अद्भुत पकड़ है आप की ....
भ्रमर ५ 

 

हाँ भाईजी  श्री सुरेन्द्र कुमार शुक्ला 'भ्रमर' जी
मैंने सोचा, आज सभी जगह हाथ साफ़ कर लो...हा हा हा
___बुरा न मानो सावन है.........

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, सुनो बहन के भैया
हमें सिखाओ हमें सिखाओ, लिखना छन्न पकैया   //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, पार हुई है नय्या,
मस्त हुआ यूँ मन का पंछी, नाचे ता ता थय्या      

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कल तक प्यासी मरती
बरस गये जब बदरा इस पर, तृप्त हो गई धरती //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, हालत कहाँ सुधरती
आती न जो बरखा रानी, धरती तांडव करती  

//छन्न पकैया - छन्न पकैया,  झूला झूले गोरी
छाने छाने, चुपके चुपके, देखो चोरी चोरी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए छोरी
ओ रे जुल्मी पींग बहाने, काहे बांह मरोरी

छन्न पकैया - छन्न पकैया, फोटो बड़ी सुहानी
यों लगता ज्यों रुक्मिणी संग, झूले राधा रानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लहजा भले रोमानी
पर संदेस मुक़द्दस इसका,  भरे आँख में पानी,
 

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, चितवन जिनकी बाँकी
मन में लड्डू फूट पड़े जब, देखी उनकी झाँकी //
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, मस्ती रूह-ओ-जाँ की 
आसमान की और उड़ चली, पींग सहेली हाँकी  //

//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, रोको ये रंगरलियाँ
वरना मेरे मन में भी मच जायेंगी खलबलियाँ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, चह चह चके चिड़ियाँ
झूलों की शोभा बनती हैं, सुन्दर सुन्दर कुड़ियाँ     

छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों नहीं जगते लोग
मजदूरों को फाका, नेता भोगे छप्पनों भोग
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, छन्न ज़रा है ढीला
सुन्दरता दोबाला करता, झंडा* जो चमकीला //
झंडा* = पताका = अंत में लघु+गुरु 

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, सुनो बहन के भैया
हमें सिखाओ हमें सिखाओ, लिखना छन्न पकैया   //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, पार हुई है नय्या,मस्त हुआ यूँ मन का पंछी, नाचे ता ता थय्या     
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महादेवजी आओ
बैठ के झूले पर फुर्सत से, छन्न पकैया गाओ 

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कल तक प्यासी मरती
बरस गये जब बदरा इस पर, तृप्त हो गई धरती //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, हालत कहाँ सुधरतीआती न जो बरखा रानी, धरती तांडव करती 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, तांडव रोको भोले
करना हो तो नृत्य करो तुम, तन डोले मन डोले

//छन्न पकैया - छन्न पकैया,  झूला झूले गोरी
छाने छाने, चुपके चुपके, देखो चोरी चोरी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए छोरीओ रे जुल्मी पींग बहाने, काहे बांह मरोरी
छन्न पकैया -छन्न पकैया, झूठ न बोलो सैंया
नहीं मरोरी बांह डार्लिंग, पकड़ी केवल बैंया 

छन्न पकैया - छन्न पकैया, फोटो बड़ी सुहानी
यों लगता ज्यों रुक्मिणी संग, झूले राधा रानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लहजा भले रोमानी
पर संदेस मुक़द्दस इसका,  भरे आँख में पानी,
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पानी ख़ुद प्यासा है
रस तो तेरी प्रीत पियारी, लगे बारमासा है
 
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, चितवन जिनकी बाँकी
मन में लड्डू फूट पड़े जब, देखी उनकी झाँकी //
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, मस्ती रूह-ओ-जाँ की आसमान की और उस चली, पींग सहेली हाँकी  //
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पींग रहेगी जारी
प्रीत बढाते चलो रातदिन, विनती यही हमारी

//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, रोको ये रंगरलियाँ
वरना मेरे मन में भी मच जायेंगी खलबलियाँ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, चह चह चके चिड़ियाँझूलों की शोभा बनती हैं, सुन्दर सुन्दर कुड़ियाँ  
छन्न पकैया -छन्न पकैया, कुड़ियां पास न आवे
उन्हें चाहिए छैलछबीला,  अलबेला नहिं भावे

छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों नहीं जगते लोग
मजदूरों को फाका, नेता भोगे छप्पनों भोग
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, छन्न ज़रा है ढीलासुन्दरता दोबाला करता, झंडा* जो चमकीला //झंडा* = पताका = अंत में लघु+गुरु
झंडा अबके लगा दिया है, बात आपकी मानी
अब तो रीझो योगराजजी, मेरे राजा जानी
___________हा हा हा हा हा हा
___________मज़ा आया
___________कैसी रही योगराजजी ! 

/छन्न पकैया - छन्न पकैया, सुनो बहन के भैया
हमें सिखाओ हमें सिखाओ, लिखना छन्न पकैया   //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, पार हुई है नय्या,मस्त हुआ यूँ मन का पंछी, नाचे ता ता थय्या     
//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महादेवजी आओ
बैठ के झूले पर फुर्सत से, छन्न पकैया गाओ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महफ़िल ज़रा सजायो
झोले पर जो बैठी गोरी, उसकी पींग बढायो.

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कल तक प्यासी मरती
बरस गये जब बदरा इस पर, तृप्त हो गई धरती //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, हालत कहाँ सुधरतीआती न जो बरखा रानी, धरती तांडव करती 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, तांडव रोको भोले
करना हो तो नृत्य करो तुम, तन डोले मन डोले
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, सुन्दर हार पिरो ले
बम बम भोले बोल के भय्या, छको भांग के गोले
//छन्न पकैया - छन्न पकैया,  झूला झूले गोरी
छाने छाने, चुपके चुपके, देखो चोरी चोरी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए छोरीओ रे जुल्मी पींग बहाने, काहे बांह मरोरी
छन्न पकैया -छन्न पकैया, झूठ न बोलो सैंया
नहीं मरोरी बांह डार्लिंग, पकड़ी केवल बैंया
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, पड़ती तोरे पैयाँ
जान भी ले लो मोरे जानी, फिर भी लूँ बलैयाँ    

 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, फोटो बड़ी सुहानी
यों लगता ज्यों रुक्मिणी संग, झूले राधा रानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लहजा भले रोमानी
पर संदेस मुक़द्दस इसका,  भरे आँख में पानी,
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पानी ख़ुद प्यासा है
रस तो तेरी प्रीत पियारी, लगे बारमासा है
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, अब तो चौमासा है
फूल फूल डारी डारी पर, उल्फत की भासा है   

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, चितवन जिनकी बाँकी
मन में लड्डू फूट पड़े जब, देखी उनकी झाँकी //
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, मस्ती रूह-ओ-जाँ की आसमान की और उस चली, पींग सहेली हाँकी  //
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पींग रहेगी जारी
प्रीत बढाते चलो रातदिन, विनती यही हमारी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, टूटे न ये यारी
प्रेम बढ़ाये निसदिन दुगना, अपने कृष्ण मुरारी

//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, रोको ये रंगरलियाँ
वरना मेरे मन में भी मच जायेंगी खलबलियाँ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, चह चह चके चिड़ियाँझूलों की शोभा बनती हैं, सुन्दर सुन्दर कुड़ियाँ  
छन्न पकैया -छन्न पकैया, कुड़ियां पास न आवे
उन्हें चाहिए छैलछबीला,  अलबेला नहिं भावे
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, उसकी याद रुलावे
गंगा यमुना बहे आँख से, याद कभी जो आवे
छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों नहीं जगते लोग
मजदूरों को फाका, नेता भोगे छप्पनों भोग
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, छन्न ज़रा है ढीलासुन्दरता दोबाला करता, झंडा* जो चमकीला //झंडा* = पताका = अंत में लघु+गुरु
झंडा अबके लगा दिया है, बात आपकी मानी
अब तो रीझो योगराजजी, मेरे राजा जानी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, कहदी बात सुहानी
योगी बाबा झूमें गाएँ, लहजा देख रोमानी 
___________ हा हा हा हा हा हा
------------------ वा वा वा वा वा वा
___________ मज़ा आया
------------------ घणा भाया 
___________ कैसी रही योगराजजी !
------------------ चोखी कही भाई साब जी
(ये कैसी रही भाई अलबेलवा जी?)




/छन्न पकैया - छन्न पकैया, सुनो बहन के भैया
हमें सिखाओ हमें सिखाओ, लिखना छन्न पकैया   //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, पार हुई है नय्या,मस्त हुआ यूँ मन का पंछी, नाचे ता ता थय्या     
//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महादेवजी आओबैठ के झूले पर फुर्सत से, छन्न पकैया गाओ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महफ़िल ज़रा सजायोझोले पर जो बैठी गोरी, उसकी पींग बढायो.
छन्न पकैया - छन्न पकैया, कितनी पींग बढायें, 
हमको तो  मालूम नहीं है, आप हमें बतलायें  


//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कल तक प्यासी मरती
बरस गये जब बदरा इस पर, तृप्त हो गई धरती //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, हालत कहाँ सुधरतीआती न जो बरखा रानी, धरती तांडव करती 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, तांडव रोको भोलेकरना हो तो नृत्य करो तुम, तन डोले मन डोले
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, सुन्दर हार पिरो लेबम बम भोले बोल के भय्या, छको भांग के गोले
छन्न पकैया - छन्न पकैया, भांग कहाँ से लायें
भांग पे है प्रतिबन्ध यहाँ, दुखड़ा किसे सुनायें

//छन्न पकैया - छन्न पकैया,  झूला झूले गोरी
छाने छाने, चुपके चुपके, देखो चोरी चोरी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए छोरीओ रे जुल्मी पींग बहाने, काहे बांह मरोरी
छन्न पकैया -छन्न पकैया, झूठ न बोलो सैंयानहीं मरोरी बांह डार्लिंग, पकड़ी केवल बैंया
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, पड़ती तोरे पैयाँ
जान भी ले लो मोरे जानी, फिर भी लूँ बलैयाँ   
छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों लें जान तिहारी
वक्त पड़ा तो हम दे देंगे, तुमको जान हमारी
 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, फोटो बड़ी सुहानी
यों लगता ज्यों रुक्मिणी संग, झूले राधा रानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लहजा भले रोमानी
पर संदेस मुक़द्दस इसका,  भरे आँख में पानी,
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पानी ख़ुद प्यासा हैरस तो तेरी प्रीत पियारी, लगे बारमासा है
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, अब तो चौमासा हैफूल फूल डारी डारी पर, उल्फत की भासा है  
छन्न पकैया - छन्न पकैया, भासा अपनी हिन्दी
सब भाषाएँ भाल हिन्द का , हिन्दी उस पर बिन्दी

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, चितवन जिनकी बाँकी
मन में लड्डू फूट पड़े जब, देखी उनकी झाँकी //
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, मस्ती रूह-ओ-जाँ की आसमान की और उस चली, पींग सहेली हाँकी  //
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पींग रहेगी जारीप्रीत बढाते चलो रातदिन, विनती यही हमारी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, टूटे न ये यारी
प्रेम बढ़ाये निसदिन दुगना, अपने कृष्ण मुरारी
कृष्ण मुरारी रास रमेंगे, ओ बी ओ महफ़िल में
बात हमारी गाँठ बांध लो, भैया  अपने दिल में

//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, रोको ये रंगरलियाँ
वरना मेरे मन में भी मच जायेंगी खलबलियाँ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, चह चह चके चिड़ियाँझूलों की शोभा बनती हैं, सुन्दर सुन्दर कुड़ियाँ  
छन्न पकैया -छन्न पकैया, कुड़ियां पास न आवेउन्हें चाहिए छैलछबीला,  अलबेला नहिं भावे
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, उसकी याद रुलावेगंगा यमुना बहे आँख से, याद कभी जो आवे
छन्न पकैया - छन्न पकैया, तुम तकलीफ़ न पाना
याद आय तो मोबाइल पर, एस एम एस भिजवाना 

छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों नहीं जगते लोग
मजदूरों को फाका, नेता भोगे छप्पनों भोग
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, छन्न ज़रा है ढीलासुन्दरता दोबाला करता, झंडा* जो चमकीला //झंडा* = पताका = अंत में लघु+गुरु
झंडा अबके लगा दिया है, बात आपकी मानीअब तो रीझो योगराजजी, मेरे राजा जानी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, कहदी बात सुहानीयोगी बाबा झूमें गाएँ, लहजा देख रोमानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, यदि तुम हो रोमानी
हम भी बाबा जनम जनम से, पक्के हिन्दुस्तानी
___________ हा हा हा हा हा हा
------------------ वा वा वा वा वा वा ___________ मज़ा आया
------------------ घणा भाया  ___________ कैसी रही योगराजजी !
------------------ चोखी कही भाई साब जी
(ये कैसी रही भाई अलबेलवा जी?)
______मजो आगयो भाई जी.........
______अब तो प्रमाण-पत्र दे दो.....
_________नहीं तो
__________________सौरभ जी से कह दूंगा....जिल्लेइलाही से.......हा हा हा

/छन्न पकैया - छन्न पकैया, सुनो बहन के भैया
हमें सिखाओ हमें सिखाओ, लिखना छन्न पकैया   //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, पार हुई है नय्या,मस्त हुआ यूँ मन का पंछी, नाचे ता ता थय्या     
//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महादेवजी आओबैठ के झूले पर फुर्सत से, छन्न पकैया गाओ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महफ़िल ज़रा सजायोझोले पर जो बैठी गोरी, उसकी पींग बढायो.
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कितनी पींग बढायें, 
हमको तो  मालूम नहीं है, आप हमें बतलायें  
//
छन्न पकैया - छन्न पकैया, इतना ऊंचा जाएँ
ओबीओ के सभी निवासी, झूमें, नाचें गायें

//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कल तक प्यासी मरती
बरस गये जब बदरा इस पर, तृप्त हो गई धरती //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, हालत कहाँ सुधरतीआती न जो बरखा रानी, धरती तांडव करती 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, तांडव रोको भोलेकरना हो तो नृत्य करो तुम, तन डोले मन डोले
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, सुन्दर हार पिरो लेबम बम भोले बोल के भय्या, छको भांग के गोले
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, भांग कहाँ से लायें
भांग पे है प्रतिबन्ध यहाँ, दुखड़ा किसे सुनायें //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, कहाँ भांग का तोटा ?
जिनती चाहो उतनी मिलती. कलकत्ता या कोटा. 


//छन्न पकैया - छन्न पकैया,  झूला झूले गोरी
छाने छाने, चुपके चुपके, देखो चोरी चोरी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए छोरीओ रे जुल्मी पींग बहाने, काहे बांह मरोरी
छन्न पकैया -छन्न पकैया, झूठ न बोलो सैंयानहीं मरोरी बांह डार्लिंग, पकड़ी केवल बैंया
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, पड़ती तोरे पैयाँ
जान भी ले लो मोरे जानी, फिर भी लूँ बलैयाँ   
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों लें जान तिहारी
वक्त पड़ा तो हम दे देंगे, तुमको जान हमारी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, कितनी बात प्यारी
भाई अलबेला जी तुम पे, जीवन सारा वारी.
छन्न पकैया - छन्न पकैया, फोटो बड़ी सुहानी
यों लगता ज्यों रुक्मिणी संग, झूले राधा रानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लहजा भले रोमानी
पर संदेस मुक़द्दस इसका,  भरे आँख में पानी,
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पानी ख़ुद प्यासा हैरस तो तेरी प्रीत पियारी, लगे बारमासा है
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, अब तो चौमासा हैफूल फूल डारी डारी पर, उल्फत की भासा है  
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, भासा अपनी हिन्दी
सब भाषाएँ भाल हिन्द का , हिन्दी उस पर बिन्दी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, मेरी माँ पंजाबी
हिंदी लेकिन जननी सबकी, उसके हाथ में चाबी  


//छन्न पकैया - छन्न पकैया, चितवन जिनकी बाँकी
मन में लड्डू फूट पड़े जब, देखी उनकी झाँकी //
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, मस्ती रूह-ओ-जाँ की आसमान की और उस चली, पींग सहेली हाँकी  //
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पींग रहेगी जारीप्रीत बढाते चलो रातदिन, विनती यही हमारी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, टूटे न ये यारी
प्रेम बढ़ाये निसदिन दुगना, अपने कृष्ण मुरारी
//कृष्ण मुरारी रास रमेंगे, ओ बी ओ महफ़िल में
बात हमारी गाँठ बांध लो, भैया  अपने दिल में //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, ओबीओ मतवाला
इसके आँगन में बसता है बिरला किस्मत वाला


//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, रोको ये रंगरलियाँ
वरना मेरे मन में भी मच जायेंगी खलबलियाँ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, चह चह चके चिड़ियाँझूलों की शोभा बनती हैं, सुन्दर सुन्दर कुड़ियाँ  
छन्न पकैया -छन्न पकैया, कुड़ियां पास न आवेउन्हें चाहिए छैलछबीला,  अलबेला नहिं भावे
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, उसकी याद रुलावेगंगा यमुना बहे आँख से, याद कभी जो आवे
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, तुम तकलीफ़ न पाना
याद आय तो मोबाइल पर, एस एम एस भिजवाना  //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, एस एम एस है जाली
बात करेंगे मिलकर भाई, अब दो दे दो ताली .

छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों नहीं जगते लोग
मजदूरों को फाका, नेता भोगे छप्पनों भोग
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, छन्न ज़रा है ढीलासुन्दरता दोबाला करता, झंडा* जो चमकीला //झंडा* = पताका = अंत में लघु+गुरु
झंडा अबके लगा दिया है, बात आपकी मानीअब तो रीझो योगराजजी, मेरे राजा जानी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, कहदी बात सुहानीयोगी बाबा झूमें गाएँ, लहजा देख रोमानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, यदि तुम हो रोमानी
हम भी बाबा जनम जनम से, पक्के हिन्दुस्तानी
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, छम छम बरसे पानी 
कह जाते हो दिल में है जो, कर थोड़ी शैतानी //
___________ हा हा हा हा हा हा
------------------ वा वा वा वा वा वा ___________ मज़ा आया
------------------ घणा भाया  ___________ कैसी रही योगराजजी !
------------------ चोखी कही भाई साब जी
(ये कैसी रही भाई अलबेलवा जी?)
______मजो आगयो भाई जी.........
______अब तो प्रमाण-पत्र दे दो.....
_________नहीं तो
__________________सौरभ जी से कह दूंगा....जिल्लेइलाही से.......हा हा हा
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए माही
सरटीफिकट तो आकर देंगे, खुद ही जिल्लेलाही     

छन्न पकैया - छन्न पकैया, गज़ब हुई हैं खुशियाँ
सिर पर ’तसला’ ताज, गले में बाँधीं ’सन’ की रसियाँ !!!

मुझे कोई ताज से बचाओ...

ये भारी है.. .  बीमारी है.. . शुद्ध भाषा में ये गारी है..  मुझे कोई ताज से बचाओ...   :-))))

जय होऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

नहीं छोड़ेंगे , नहीं छोड़ेंगे
___हा हा हा

लगता है .. ये ’पेशल’ चिपकाऊ जोड़ है, छूटेगा नहीं.... :-))))

/छन्न पकैया - छन्न पकैया, सुनो बहन के भैया
हमें सिखाओ हमें सिखाओ, लिखना छन्न पकैया   //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, पार हुई है नय्या,मस्त हुआ यूँ मन का पंछी, नाचे ता ता थय्या     
//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महादेवजी आओबैठ के झूले पर फुर्सत से, छन्न पकैया गाओ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, महफ़िल ज़रा सजायोझोले पर जो बैठी गोरी, उसकी पींग बढायो.
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कितनी पींग बढायें, 
हमको तो  मालूम नहीं है, आप हमें बतलायें  
//
छन्न पकैया - छन्न पकैया, इतना ऊंचा जाएँ
ओबीओ के सभी निवासी, झूमें, नाचें गायें

छन्न पकैया - छन्न पकैया, नाचन की रुत भाई
बादल गरजा, बिजुरी चमकी, बरखा रानी आई


//छन्न पकैया - छन्न पकैया, कल तक प्यासी मरती
बरस गये जब बदरा इस पर, तृप्त हो गई धरती //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, हालत कहाँ सुधरतीआती न जो बरखा रानी, धरती तांडव करती 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, तांडव रोको भोलेकरना हो तो नृत्य करो तुम, तन डोले मन डोले
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, सुन्दर हार पिरो लेबम बम भोले बोल के भय्या, छको भांग के गोले
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, भांग कहाँ से लायें
भांग पे है प्रतिबन्ध यहाँ, दुखड़ा किसे सुनायें //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, कहाँ भांग का तोटा ?
जिनती चाहो उतनी मिलती. कलकत्ता या कोटा. 

छन्न पकैया - छन्न पकैया, हम ठहरे गुजराती
सबकुछ मिल जाता है परन्तु, भांग नहीं मिल पाती

//छन्न पकैया - छन्न पकैया,  झूला झूले गोरी
छाने छाने, चुपके चुपके, देखो चोरी चोरी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए छोरीओ रे जुल्मी पींग बहाने, काहे बांह मरोरी
छन्न पकैया -छन्न पकैया, झूठ न बोलो सैंयानहीं मरोरी बांह डार्लिंग, पकड़ी केवल बैंया
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, पड़ती तोरे पैयाँ
जान भी ले लो मोरे जानी, फिर भी लूँ बलैयाँ   
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों लें जान तिहारी
वक्त पड़ा तो हम दे देंगे, तुमको जान हमारी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, कितनी बात प्यारी
भाई अलबेला जी तुम पे, जीवन सारा वारी.
छन्न पकैया - छन्न पकैया, केवल बात नहीं है
हमने तो जाना इस दिल से, मित्र मित्रता की है

 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, फोटो बड़ी सुहानी
यों लगता ज्यों रुक्मिणी संग, झूले राधा रानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, लहजा भले रोमानी
पर संदेस मुक़द्दस इसका,  भरे आँख में पानी,
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पानी ख़ुद प्यासा हैरस तो तेरी प्रीत पियारी, लगे बारमासा है
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, अब तो चौमासा हैफूल फूल डारी डारी पर, उल्फत की भासा है  
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, भासा अपनी हिन्दी
सब भाषाएँ भाल हिन्द का , हिन्दी उस पर बिन्दी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, मेरी माँ पंजाबी
हिंदी लेकिन जननी सबकी, उसके हाथ में चाबी 
छन्न पकैया - छन्न पकैया, भैया बात ज़रा सी
माँ मेरी राजस्थानी औ  पंजाबी है मासी 



//छन्न पकैया - छन्न पकैया, चितवन जिनकी बाँकी
मन में लड्डू फूट पड़े जब, देखी उनकी झाँकी //
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, मस्ती रूह-ओ-जाँ की आसमान की और उस चली, पींग सहेली हाँकी  //
छन्न पकैया -छन्न पकैया, पींग रहेगी जारीप्रीत बढाते चलो रातदिन, विनती यही हमारी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, टूटे न ये यारी
प्रेम बढ़ाये निसदिन दुगना, अपने कृष्ण मुरारी
//कृष्ण मुरारी रास रमेंगे, ओ बी ओ महफ़िल में
बात हमारी गाँठ बांध लो, भैया  अपने दिल में //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, ओबीओ मतवाला
इसके आँगन में बसता है बिरला किस्मत वाला

छन्न पकैया -छन्न पकैया, किस्मत अपनी भारी
इसीलिए तो मिल गई हमको, योगराज की यारी


//छन्न  पकैया - छन्न पकैया, रोको ये रंगरलियाँ
वरना मेरे मन में भी मच जायेंगी खलबलियाँ //
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, चह चह चके चिड़ियाँझूलों की शोभा बनती हैं, सुन्दर सुन्दर कुड़ियाँ  
छन्न पकैया -छन्न पकैया, कुड़ियां पास न आवेउन्हें चाहिए छैलछबीला,  अलबेला नहिं भावे
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, उसकी याद रुलावेगंगा यमुना बहे आँख से, याद कभी जो आवे
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, तुम तकलीफ़ न पाना
याद आय तो मोबाइल पर, एस एम एस भिजवाना  //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, एस एम एस है जाली
बात करेंगे मिलकर भाई, अब दो दे दो ताली .
छन्न पकैया - छन्न पकैया,  हम  मित्र मारवाड़ी
देने में नहिं लेने में हैं, रहते सदा अगाड़ी


छन्न पकैया -छन्न पकैया, क्यों नहीं जगते लोग
मजदूरों को फाका, नेता भोगे छप्पनों भोग
//छन्न पकैया -छन्न पकैया, छन्न ज़रा है ढीलासुन्दरता दोबाला करता, झंडा* जो चमकीला //झंडा* = पताका = अंत में लघु+गुरु
झंडा अबके लगा दिया है, बात आपकी मानीअब तो रीझो योगराजजी, मेरे राजा जानी
छन्न  पकैया - छन्न पकैया, कहदी बात सुहानीयोगी बाबा झूमें गाएँ, लहजा देख रोमानी
छन्न पकैया - छन्न पकैया, यदि तुम हो रोमानी
हम भी बाबा जनम जनम से, पक्के हिन्दुस्तानी
//छन्न पकैया - छन्न पकैया, छम छम बरसे पानी 
कह जाते हो दिल में है जो, कर थोड़ी शैतानी //
छन्न पकैया - छन्न पकैया, शैतानी का दुःख है
दुनिया चाहे पागल समझे. बन्दा तो हसमुख है
___________ हा हा हा हा हा हा
------------------ वा वा वा वा वा वा ___________ मज़ा आया
------------------ घणा भाया  ___________ कैसी रही योगराजजी !
------------------ चोखी कही भाई साब जी
(ये कैसी रही भाई अलबेलवा जी?)
______मजो आगयो भाई जी.........
______अब तो प्रमाण-पत्र दे दो.....
_________नहीं तो
__________________सौरभ जी से कह दूंगा....जिल्लेइलाही से.......हा हा हा
छन्न पकैया - छन्न पकैया, छन्न पकाए माही
सरटीफिकट तो आकर देंगे, खुद ही जिल्लेलाही    
छन्न पकैया - छन्न पकैया, जिल्लेलाही आओ
अपने इस नाचीज़ दास की, इन से लाज बचाओ

____क्यों ठीक है न ठीक ?
____लाओ प्रमाण-पत्र ...........हा हा हा हा हा हा
____योगराज ज़िन्दाबाद ...tain te tain
 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service