PROVIDENTIAL UNDERSTANDING
Thoughts ..
Pure and shimmering
Their eloquence rising and uplifting
Subtly pervading even subtlety
Like air, like light, or like ...
Love
Thoughts .. repugnant or repulsive
Awaiting the end somewhere sometime
of interminable night
in painful silence
Or, in inaudible tones, even rebuking Him
Not ceasing to bewail or protest
Or refrain from putting Him to test
To this, silent is He, without response
Staying steady as ever, unaffected
This to us is seemingly strange
To Him it is
Fullness in nothingness
His imminent nature Divine
He IS
He is Brahman
To understand Him
Or even to attempt to interpret
With body, mind, or limited intellect
Is like trying to grasp a sliver of light
Or, the fleeting wind
Perforce in my palm enclosed
Or, to follow a star in its inscrutable flight
Simple, and yet so hard ...
To know Him
I need to Know the "I"
-----------
-- Vijay Nikore
(original and unpublished)
Tags:
Certainly Sir! He cannot be understood by this unit I unless this unit I develops devotion to the Cosmic I.
The Upanishadas say :- to know Him the "unit done I" has to be merged in to "unit doer I" and then doer I to "existential I" feelings and the entity witnessing this existential I feeling is "jivatma". when this practice is perpetuated then this "jivatma " identifies "parmatma" to which you have indicated as "Brahman". Regards.
Thank you, respected Sukul ji.
I resonate with everything that you said.
Only if we could remove the veil of ignorance, for God is right here.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |