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सीमा शर्मा मेरठी
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Female
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अलीगढ़
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मेरठ
Profession
house wyf
About me
i m a house wyf n like to write poems ghazals etc

सीमा शर्मा मेरठी's Blog

ग़ज़ल सीमा शर्मा

पहेली दिल की सुलझाऊँ तो कैसे

मैं इससे हार भी जाऊं तो कैसे।



लिपट जातें हैं पावों से बगूले

मैं बाहर दश्त से आऊँ तो कैसे।



पुकारे आसमां बाहें पसारे

परों बिन पास मैं जाऊं तो कैसे ।



धड़कता है वो दिल में दर्द बनकर

मैं उसको भूल भी जाऊं तो कैसे ।



गुलो पर बूँद मैं शबनम की बनके

हवा में फिर से घुल जाऊं तो कैसे।



उमड़ती ज़ह्ण में ख़्वाबों की नदियां

समन्दर मुट्ठी में लाऊँ तो कैसे



बदन पर पैरहन यादों का तेरा

नज़र…

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Posted on December 29, 2015 at 10:00pm — 13 Comments

Comment Wall (2 comments)

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At 2:18pm on December 27, 2015, मनोज अहसास said…
आपका हार्दिक स्वागत है आदरणीया सीमा जी
At 4:13am on December 7, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका अभिनन्दन है.

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