किशोर छंद
किशोर मुक्तक "कोरोना"
भारी रोग निसड़लो आयो, कोरोना,
सगलै जग मैं रुदन मचायो, कोरोना,
मिनखाँ नै मिनखाँ सै न्यारा, यो कीन्यो
कुचमादी चीन्याँ रो जायो, कोरोना।
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किशोर मुक्तक "बालाजी"
एक आसरो बचग्यो थारो, बालाजी।
बेगा आओ काम सिकारो, बालाजी।
जद जद भीड़ पड़ी भकताँ माँ, थे भाज्या।
दोराँ दिन से आय उबारो, बालाजी।।
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किशोर छंद विधान -
किशोर छंद मूल रूप से एक मात्रिक छंद है। इसके प्रत्येक पद मे 22 मात्राएँ होती हैं तथा यति 16 व 6 मात्राओं पर होती है। पद की मात्रा बाँट अठकल*2, द्विकल*3 होती है। इसमे पदांत मगण (222) से हो तो यह छंद और भी सुंदर हो जाता है। इस छंद में चारों पद समतुकांत रखे जाते हैं।
किशोर मुक्तक :- किशोर छंद के यदि तीसरे पद को भिन्न तुकांत कर दें तो यही 'किशोर मुक्तक' में परिवर्तित हो जाता है।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
मौलिक व अप्रकाशित
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