जय श्री राम
दोहे
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पौष शुक्ल की द्वादशी,सजा अवधपुर धाम।
प्राण प्रतिष्ठा हो गए,बाल रूप श्री राम।१।
रामलला के साथ में, सजे दसों अवतार।
युगे - युगे अवतार लें, जग के तारणहार।२।
दो हजार चौबीस सन,मास प्रथम बाईस।
रघुवर आए महल में,मिटी हृदय की टीस।३।
कटे बरस जो पांच सौ,कटा राम वनवास।
सभी वैर को त्यागकर,बनो राम के दास।४।
स्वागत में श्री राम के,दीप जलें घर द्वार।
लाज रखेंगे रामजी,धन्य - धन्य सरकार।५।
मौलिक एवम् अप्रकाशित
सुरेश कुमार 'कल्याण'
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