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अमर उजाला में ग़ज़ल ०१ दिसंबर २०१३

दैनिक ’’ अमर उजाला ‘’ के राष्ट्रीय संस्करण - रविवासरीय ’ नयी ज़मीन ‘ में आज 01 दिसंबर 2013 को प्रकाशित मेरी एक ग़ज़ल ‘’अक्षरों में ख़ुदा दिखाई दे ‘’ मित्रों के लिए सादर !!

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Comment by Abhinav Arun on December 2, 2013 at 8:07am

आदरणीय अग्रज श्री सब आपका , सब आपके स्नेह का प्रतिफल है ..जो सीखा जाना सब यही से आप सबसे ..सम्पूर्ण ओ बी ओ टीम के प्रति श्रद्धा नत हूँ ...सादर नमन वंदन ..आभार आभार !!

Comment by Abhinav Arun on December 2, 2013 at 8:05am

आदरणीय सर्वश्री राम शिरोमणि जी , शिज्जू जी और संजू जी हार्दिक आभार आप सबका !!स्नेह मिलता रहे यही कामना है , ओ बी ओ मित्रों की मेरी यात्रा में अहम् भूमिका है मेरा अच्छा बुरा ,,सब यही का ..यही से !!

Comment by Abhinav Arun on December 2, 2013 at 8:04am

आदरणीय गीतिका जी बहुत आभार !!

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 7:56am

बधाई आ० अभिनव जी! हमने भी ये खासखबर सहेज ली थी|

Comment by ram shiromani pathak on December 1, 2013 at 7:24pm

बहुत बहुत बधाई आदरणीय अभिनव अरुण जी..........


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 1, 2013 at 5:56pm

बहुत बहुत बधाई हो आदरणीय अभिनव अरुण जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 1, 2013 at 4:11pm

ओबीओ के मंच से हुई उठान का ’अभिनव उजाला’ के ’अमरत्व’ तक जा पहुँचना भला लगा... :-)

ओबीओ पर जब यह ग़ज़ल आयी थी तब ही पाठकों से एकमत प्रशंसा बटोर ले गयी थी. 

पुनः बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ अनुज श्री.. 

Comment by sanju shabdita on December 1, 2013 at 3:23pm

आदरणीय अभिनव जी आपकी यह ग़ज़ल मैंने सुबह ही अमर उजाला में पढ़ ली थी ,पर यहाँ ओ बी ओ पर देखकर और भी अच्छा लगा

बहुत ही सुंदर और सशक्त ग़ज़ल हेतु आपको विशेष हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

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