For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कथा :- जीवित्पुत्रिका का पर्व

Views: 389

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 1, 2012 at 6:32pm

सराहना हेतु आभार आदरणीय सौरभ भाई साहब |

Comment by Tilak Raj Kapoor on May 1, 2012 at 5:02pm

आप सभी के स्‍नेह व सम्‍मान के लिये हृदय से आभारी हूँ। कष्‍टदायक व्‍यस्‍तता के कारण इस बार 'तरही' की टिप्‍पणियों में सक्रिय भाग न ले सका, क्षमा प्रार्थी हूँ। एकजाई 'तरही' में अवश्‍य आपके साथ रहूँगा।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2012 at 4:01pm

Bhawesh Rajpal jee, I do feel so that Labor Day is not celebrated or even remembered by the labors. Actually, it is altogether a different image-building process what you have mentioned. But here, the poets perform their task of bringing the emotion down towards those belonging to 'have' categories.

Thanks

Comment by Bhawesh Rajpal on May 1, 2012 at 3:55pm


Respected Ganesh Ji "Bagi", It`s a touching creation , It tells the reality of labour  who is working every day to eat everyday." Majdoor Diwas" cann`t be celeberation for him . Rich people celeberate to earn image in society but it`s punishment for labour. Any way  my heartiest Regards.  Keep touching the hearts.

Comment by Abhinav Arun on May 1, 2012 at 3:51pm

आदरणीय श्री बागी जी और श्री धर्मेन्द्र जी को हार्दिक बधाई !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2012 at 2:12pm

दोनों रचनाएँ भावप्रवणता की दृष्टि ही नहीं शास्त्रीय लिहाज से भी उच्च कोटि की हैं.

प्रकाशन हेतु बधाई.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 1, 2012 at 1:52pm

खुबसूरत दो शेरों के साथ सराहना हेतु आभार आदरणीय तिलक राज जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 1, 2012 at 1:52pm

आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 1, 2012 at 1:51pm

वाह वाह तिलकराज जी आपकी ये मार्मिक पक्तियां दिल पर आघात कर गई 

Comment by Tilak Raj Kapoor on May 1, 2012 at 1:45pm

बहुत खूब।

मज़दूर को दिवस पर रोज़ी न मिल सकी
सम्‍मान में दिवस के उपवास हो गया।

बच्‍चा बहुत था भूखा, लेकिन समझ गया वो
चेहरे को देख मॉं के, चुपचाप सो गया।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service