For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Pradeep kumar pandey
Share on Facebook MySpace

Pradeep kumar pandey's Groups

 

Pradeep kumar pandey's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
mp
Native Place
dehradun
Profession
retd govt servant
About me
was an officer in B.S.F .Met with an accident during my posting at Gujraat Border in 2007 and got my back injured badly and I was forced to takeV.R.S.. My sweet family helped me to come out of this physical and mental trauma Now I am fighting fit

Pradeep kumar pandey's Blog

डिज़ाइनर मुखौटे [ लघु कथा .प्रदीप कुमार पांडे ]

“रेहाना’i    बहुत खुश दिख रहा था आनंद   “आज रात के ग़ज़ल की कंसर्ट के दो टिकटों का इंतजाम कर लिया है मैंनेI  बहुत पीछे की सीटें हैं, पर मिल गए ये ही क्या कम है I”

“मुबारक हो”   रेहाना धीरे से बोली I

“अरे इतनी दूर ऑस्ट्रेलिया में अपने इतने जाने माने लोगों के ग़ज़ल ,गाने सुनने को मिलेंगे I  तुम खुश नहीं हो i”   आनंद चिढ कर बोला I

“हाँ नहीं हूँ खुश और मै जाऊंगी भी नहीं “  रेहाना उठने लगी I

“पाकिस्तानी हैं इसलिए ?”  आनंद ने उसका हाथ पकड़ लिया “ तुम इतनी पढ़ी लिखी हो, यहाँ …

Continue

Posted on October 7, 2016 at 3:00pm — 2 Comments

ताक़त वतन की हमसे है [लघु कथा ]

“ऑफिस के लिए देर नहीं हो रही ?यहीं बैठे है आप अभी तक i

“वो बाहर बाबूजी बैठे हैं ना ,फिर पूछेंगे कि अशोक का फ़ौज से कागज़ आया कि नहीं I”

“आप साफ़ कह क्यों नहीं देते कि नहीं भेजना हमें अपने बेटे को फ़ौज में I कागज़ आ गया और हमने फाड़ कर फेंक भी दिया I”

“साफ़  कहने की हिम्मत ही तो  नहीं कर पा रहा हूँ सविता i बहुत प्यार करते हैं अशोक को , फ़ौज में ऑफिसर देखना चाहते हैं उसे”I

“इन्हें क्या मिला फ़ौज से ? टूटी टांग ,बैसाखियाँ और थोड़ी सी पेंशन.. बस i”

“जानता हूँ ,पर बहस…

Continue

Posted on July 25, 2016 at 10:35am — 3 Comments

बात आई गयी [लघु कथा ] प्रदीप कुमार पांडे

अपने बंगले के बगीचे की दीवार के पास जमा भीड़ देखकर उसने गाड़ी रोक दी I

" क्या हुआ "? बाहर निकल उसने पूछा I

"कोई भिखारी मर गया "I

" कैसे ?"

" कैसे क्या साहब ,ठण्ड से अकड़ कर I पिछले कुछ दिनों से  यहीं पड़ा रहता था दीवार के पास I"

गाड़ी  में  बैठते उसे लगा ,उसका सारा शरीर ठण्ड से जमा जा रहा है I चार दिन पहले पत्नी ने कहा था कि पुराने गर्म कपडे कम्बल  काफी जमा हो गए हैं , कहीं दान करने चलना है I और फिर बात आई गयी हो गयी थी I

" अरे, अब क्या चद्दर डाल रहे हो…

Continue

Posted on February 3, 2016 at 6:18pm — 7 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 2:25am on October 2, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है।
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service