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Praveen Verma 'ViswaS'
  • Male
  • Agra
  • India
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Praveen Verma 'ViswaS''s Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Agra/Uttar Pradesh
Native Place
Farrukhabad/ Uttar Pradesh
Profession
3D Interior Designer

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Praveen Verma 'ViswaS''s Blog

कविता - सूर्योदय

छा रहा है गगन में कुछ कुछ उजाला

बढ़ रही है पूर्व दिशि की लालिमा

जगमगाते तारे भी फीके पड़े हैं

घट रही है यामिनी की कालिमा

चन्द्रमा निस्तेज होकर जा छुपा है

मंद पड़ती श्वेत किरणों को समेटे

चाहता है पश्चिमी दिव्यांगना के

पास जाकर गोद में कुछ काल लेटे

हाथ थामे दिग्वधू का आ रहे हैं

तिमिर के बैरी प्रभु श्री अंशुमाली

मंद वायु भी लगी है मुस्कुराने

छिप गयी है कही जाकर रात काली

हिमगिरी…

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Posted on October 19, 2013 at 12:20pm — 13 Comments

उठते बैठते बस एक ही ख्याल हुआ

उठते बैठते बस एक ही ख्याल हुआ

क्यूँ जीना भी इस कदर मुहाल हुआ

लुटी आबरू तो चुप हैं सफ़ेद-पोश

ख़ामो ख्वाह की बातों पर बवाल हुआ

जलाता है रावण खुद अपना ही बुत

तमाशा ये देखो हर साल हुआ

जुबां…

Continue

Posted on October 3, 2013 at 6:43pm — 22 Comments

मुझको क़फस में क़ैद रहने दीजिए

मुझको क़फस में क़ैद रहने दीजिए
अश्कों को मेरे यूँ ही बहने दीजिए

मेरे गुनाहों की तलाफी है यही
हर सितम चुपचाप सहने दीजिए

गुन्ग दीवारें फकत और कुछ नहीं
ना कीजिए आवाज, रहने दीजिए

महव-ए-गम हो जाओगे ऐ गम-गुसार
होठों को मेरे कुछ ना कहने दीजिए

किस बात के हो मुन्तज़र "विश्वास" तुम
ख़्वाबों को होकर ख़ाक ढहने दीजिए

"मौलिक व अप्रकाशित"

Posted on January 23, 2013 at 4:30pm — 5 Comments

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