छा रहा है गगन में कुछ कुछ उजाला
बढ़ रही है पूर्व दिशि की लालिमा
जगमगाते तारे भी फीके पड़े हैं
घट रही है यामिनी की कालिमा
चन्द्रमा निस्तेज होकर जा छुपा है
मंद पड़ती श्वेत किरणों को समेटे
चाहता है पश्चिमी दिव्यांगना के
पास जाकर गोद में कुछ काल लेटे
हाथ थामे दिग्वधू का आ रहे हैं
तिमिर के बैरी प्रभु श्री अंशुमाली
मंद वायु भी लगी है मुस्कुराने
छिप गयी है कही जाकर रात काली
हिमगिरी के हर शिखर पर छा गयी है
चमचमाते सूर्य की पीताभ छाया
कुलिश-पाणि इन्द्र की पूरब दिशा में
शान से दिननाथ ने आसन जमाया
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
रचना की पंक्तियाँ सूर्योदय का अक्स आँखों के समक्ष लाने में सक्षम हैं.... इस हेतु बधाई आ0 प्रवीन जी...
हर विधा की अपनी खासियत होती है. एक विधा की असफलता को दूसरी विधा के नाम नहीं किया जा सकता. बेहतर हो कि आप यहाँ के विभिन्न समूहों के लेख पढ़ें और फिर प्रयास करें. अन्य सदस्यों की रचनायें देखें और टिप्पणी करें. सतत प्रयास से कलम सध जायेगी.
बहरहाल, इस प्रयास के लिए आपको हार्दिक बधाई!
//क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग के बाद भी कविता में परिपक्वता नहीं आ पाई।//
ये आपको किसने समझा दिया है कि मात्र क्लिष्ट शब्दों से कोई कविता परिपक्व हो जाती है ???
आपकी प्रस्तुत रचना का विन्यास ही असंयत है, भाई. जो अनवरत और दीर्घकाल तक प्रयासरत रहने से सुधरता जायेगा..
शुभेच्छाएँ
भोर की और बढ़ते आपके इन कदमो के लिए शुभकामनाये |
बढ़िया , सुंदर भाव , बहुत बधाई आपको आ0 ।
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, यह कविता मैंने अपनी किशोरावस्था में अपनी माध्यमिक शिक्षा के दौरान लिखी थी। इसीलिए क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग के बाद भी कविता में परिपक्वता नहीं आ पाई। आगे की रचनाओं में विशेष ध्यान रखूँगा। आपका मार्गदर्शन प्रार्थनीय है।
सभी अग्रजों के आशीर्वाद हेतु साभार धन्यवाद
सुन्दर भाव एवं सुन्दर शब्दों का प्रयोग .. बाकि इस मंच पर सीखने को बहुत कुछ है ..
कविता का अच्छा प्रयास है भाई प्रवीन जी, बधाई स्वीकार करें
कविता में प्रभावित करते शब्दों का प्रयोग भला लग रहा है. लेकिन. भाईजी, शिल्पकी दृष्टि से पूरी कविता का विन्यास ही असहज है. ऐसा क्यों हुआ है यह तो आप ही बता पायेंगे. चूँकि यह कविता प्रथम दृष्ट्या प्रकृति-सुषमा से तृप्त क्षण साझा करती है, अतः यह असहजता विस्मित करती है.
बहरहाल, आपके सुन्दर और गंभीर प्रयास पर हार्दिक बधाई, भाई. संदेह नहीं, आपका रचनाकर्म सम्भावनाओं से भरा हुआ है.
शुभेच्छाएँ
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