कभी कभी ख्वाब हकीकतमें चले आते है
अपनी फितरत-ऐ-कदा छोड़ मैखाने चले आते है
हर दिलकशी के पहले यकायक पेश आते है
याद कर ज़मीर को बेखुद चले आते है
वो कभी सर्कार हो गनीमत ऐसे सवर जाते है
हो कभी बीमार हम वैशत में चले आते है
सर-से पाँव कमसीन अदा फितरतमें चले आते है
कभी वक्तके इंतज़ार में कभी कब्ल चले आते है
उनका पता क्या बताये वो है हमारे अज़ीज़-ऐ-कारी
कभी अंखोसे बया कभी चेहेरोसे चले आते है
नकामिये इश्कमें कुछ कसर होती तो इतनी कहत न होती
लोग अश्यरपे नहीं नीलामीपे चले आते है
हर वक़्त की ज़िद है हर वक़्त चले आते है
नींद जावा हो तो मेहेरबान चले आते है
यह ग़ज़ल शौक कैसे बना आपकी सरोकार में
बुज़ाए शोले हमने भी दिल -ऐ - तार तार में
बेसाख्ता बह रहे है अश्क़ बावजूद -ओ - इश्क़ में
लिपट लिए है अक्स से हम ज़ार ज़ार में
वो चेहरा क्या बया करें सरसार हिकायतें -ऐ -रूह
क्या क्या छुपा रही है निगाही आर पार में
फिर एक बदनसीब चला फिर मजनुके रास्ते
अब जां रहे के न रहे संग -ओ -ख़िश्त मार में
लो छोड़ दी है हमने भी बाज़ी यहापे खुद
क्या क्या गिने शिकस्त ज़िद अब जीत हार में
वक़्तका तकाज़ा है आज आई है शाबान-ऐ-हिज्राँ सिरहानेसे
वैसे दम-ब-दम को नहीं फुर्सत दर-ब-दर मुझे आज़मानेसे
कितने माजूर-ओ-बेखुद बने बद-चलन पैमाने झलकानेसे
सफा -ऐ -कल्ब क्या बनोगे इंसा सरसार दर्यामे नहाने से
उम्र -ऐ -खिज्र में गर फिर लिखे दास्तान -ऐ -शौक कोई
किस तर्ज़ -ऐ -तपाक मिले तोड़कर मसाफात अनजाने से
सर -गर्म -ऐ -जफ़ा किसको महोलत दी है यहाँ बेदिलीने
तक़दीर कैसे निगाह -बान रहे नज़र -ऐ -बाद बचाने से
फरते -मिहानपे …
ContinuePosted on October 31, 2013 at 6:20pm — 6 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
Comment Wall (2 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
सदस्य टीम प्रबंधनRana Pratap Singh said…
Resp Zid saa'b
Its nice to interacting with you. You have written correctly that your Gazals were not legitimate. Gazal has its own discipline and that has to be followed. The Gazal rolls on the wheels of Bahr, Kafiyaa, Radif and Takhayyul. These are the basic ingredients of the Gazal. One can start saying Gazal if he knows the basic concept of above mentioned terms. For learner's reference Mr Venus Kesari has started very good discussions in the 'Gazal Ki BaateN' group. I am giving you the link of the same. Further if you have any query, do not hesitate to contact.
ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
these links are also available on the bottom of the page of this web site
Regards
स्वागत है आदरणीय।