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पाकर जिसे हयात हवालात हो गई
इक ऐसे ग़म से आज मुलाक़ात हो गई
कैसे बताएँ आपके बिन कुछ नहीं हैं हम
कैसे बताएँ आपको क्या बात हो गई
अंजान थी जो आँख मिरी जान अश्क़ से
बाद आपके यूँ रोई की बरसात हो गई
इक पल में खुशनुमा हुई इक पल में रहनुमा
फ़िर एक पल में दर्द की सौग़ात हो गई
कैसी है दास्ताँ ये मिरी जान ज़िंदगी
रौशन हुई कहीं तो कहीं रात हो गई
मौलिक व…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on February 26, 2022 at 11:30pm — 2 Comments
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