121-22-121-22
नये ज़माने का खून हूँ मैं।।
पुराने स्वेटर का ऊन हूँ मैं।।
मुझे न पढ़ना न पढ़ सकोगे।
मैं अहदे उल्फ़त* जुनून हूँ मैं। time of love
अजब! सिफारिश मेरी करोगे।
अभी भी शक है कि कौन हूं मैं।।
करोगे क्या मेरे ज़ख्म सी कर।
यूँ इश्क का इक सुकून हूँ मैं।।
मकान मेरा नहीं है गुम सा।
पुराने घर से दरून* हूँ मैं।। (दिल,मध्य कोर)
के हिज्र हो या विसाल तेरा।
हूँ दोनों शय में…
ContinueAdded by amod shrivastav (bindouri) on February 13, 2019 at 11:52pm — 3 Comments
बह्र-
2122-2122-1221-222
सुन! जो उनसे हो मुलाकात जाये तो क्या होगा ।।
दरमियाँ फिर हो वही बात जाये तो क्या होगा।।
पर कहीं वो रूठ कर नजरें अपनी घुमा ली तो ।
बेबजह यूँ इश्क जजबात जाये तो क्या होगा।।
छोड़ उसको फिर न ये दर्द उलफत का देना अब।
रो के गर उसकी भी ये रात जाये तो क्या होगा।।
जानते हो ,वो यूँ मीलों सफर के जैसा है।
दो कदम चल के मुलाकात जाये तो क्या होगा ।।
मुझसे वो अच्छे से मिलना नहीं चाहती…
ContinueAdded by amod shrivastav (bindouri) on February 7, 2019 at 6:37pm — 4 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |