बह्र-
2122-2122-1221-222
सुन! जो उनसे हो मुलाकात जाये तो क्या होगा ।।
दरमियाँ फिर हो वही बात जाये तो क्या होगा।।
पर कहीं वो रूठ कर नजरें अपनी घुमा ली तो ।
बेबजह यूँ इश्क जजबात जाये तो क्या होगा।।
छोड़ उसको फिर न ये दर्द उलफत का देना अब।
रो के गर उसकी भी ये रात जाये तो क्या होगा।।
जानते हो ,वो यूँ मीलों सफर के जैसा है।
दो कदम चल के मुलाकात जाये तो क्या होगा ।।
मुझसे वो अच्छे से मिलना नहीं चाहती होगी।
बेवफा हूँ, मिल भी खैरात जाये तो क्या होगा ।।
आमोद बिन्दौरी / मौलिक- अप्रकाशित
Comment
आ रक्षिता दी ...उत्साहवर्धन के लिए आभार ...दी जो आप ने इंगित किया वो सही है । पर मैंने इस रचना में अपनी बात बोलचाल में कहने का प्रयास किया है । बह्र में ये कह पाना नए होने की दृस्टि से मेरे लिए बहुत कठिन था । इसमें मैं किसी अपने से अपने जज्बात कह रहा हूँ जिसमे आदर शामिल नहीं है ।
आ समर दादा प्रणाम ...
दादा मार्गदर्शन के लिए आभार, शिल्प का आसाय मैं समझ नही पा रहा हूँ । क्या आप का कहन को लेकर प्रश्न है । रही व्याकरण की बात तो वो तो बिलकुल नहीं आती है। मैं ध्यान दे रहा हूँ जैसे ही मुझे समझ आएगा मैं त्रुटियां सही करने का प्रयास करूँगा।
जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास बह्र के हिसाब से अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
शिल्प और व्याकरण पर और अभ्यास करें ।
आदरणीय अमोद जी ,नमस्कार !
बहुत सुंदर भाव, बधाई हो।
"जाये तो क्या होगा" के स्थान पर यदि रदीफ़ "हो जाये तो क्या होगाा" ज्यादा उचित रहेेेेगा ।
कुछ अन्य बदलाव भी जो मुझे आवश्यक लगे, कृपया गौर फरमाइये ।
सुन! उनसे जो मुलाकात हो जाये तो क्या होगा ।।
दरमियाँ फिर से वही बात हो जाये तो क्या होगा।।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online