तेरे फड़फड़ाते पंखों की छुअन से
ऐ परिंदे!
हिलोर आ जाती है
स्थिर,अमूर्त सैलाब में
और...
छलक जाता है
चर्म-चक्षुओं के किनारों से
अनायास ही कुछ नीर.
हवा दे जाते हैं कभी
ये पर तुम्हारे
आनन्द के उत्साह-रंजित
ओजमय अंगार को,
उतर आती है
मद्धम सी चमक अधरोष्ठ तक,
अमृत की तरह.
विखरते हैं जब
सम्वेदना के सुकोमल फूल से पराग,
तेरे आ बैठने…
ContinueAdded by Vindu Babu on February 9, 2014 at 2:00pm — 32 Comments
एक मासूम...
तल्लीनता से जोर-जोर पढ़ रहा था
क-कमल,ख-खरगोश,ग-गणेश।
शिक्षक ने टोका
ग-गणेश! किसने बताया?
बाबा ने...
माँ और पिता को सब कुछ माना
तभी तो सबसे बड़े देव हुए।
नहीं,गणेश नहीं कहते
संप्रदायिकता फैलेगी
जिसे तुम समझो झगड़ा. .विवाद
ग-गधा कहो बेटे।
आस्था भोली थी
बाबा के गणेश,मसीहा और अल्लाह से रेंग
'गधे' में शांति खोजने…
ContinueAdded by Vindu Babu on February 2, 2014 at 4:50am — 17 Comments
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