भुजंग प्रयात छन्द (122 -122-122-122)
बड़ा तंग करता वो करके बहाने,
बड़ी मुश्किलों से बुलाया नहाने।
किया वारि ने दूर तंद्रा जम्हाँई,
तुम्ही मेरे लल्ला तुम्ही हो कन्हाई।
कभी डाँटके तो कभी मुस्कुरा के,
करे प्यार माता निगाहेँ चुराके।
बड़े कौशलों से किया मातु राजी,
पढ़ो लाल जीतोगे जीवन की बाजी।
सुना जी हिया-उर्मि के नाद को…
Added by SHARAD SINGH "VINOD" on February 25, 2018 at 12:37pm — 3 Comments
11-02-2018 "मधुर" जी के स्मृति में भावभीनी श्रद्धाञ्जलि
छन्द विधा : शक्ति छंद
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कहां प्यार ऐसा मिलेगा कहीं,
हमारे सखा सा जहां में नहीं।
दिया प्यार इतना कि कर्जित हुए,
हुई आंख नम जो थे गर्वित हुए।
हमारा सभी का बड़ा भाग था,
अकल्पित उन्हीं पे झुका राग था।
"मधुर" जी में किंचित नहीं द्वेष था,
अकिंचन हुआ आज जो शेष था।
कहीं राग बिखरे कहीं…
ContinueAdded by SHARAD SINGH "VINOD" on February 19, 2018 at 3:30pm — 5 Comments
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