वैलेंटाइन फ्लू (व्यंग)
त्राहिमाम कर रही दिल्ली, फ़ैल रहा स्वाईंन फ्लू,
दूजे सर चढ़ के बोल रहा सबके वैलेंटाइन फ्लू.
कही मरीजों की है, कतारें लम्बी अस्पतालों में,
और हम हैं की खोये हैं प्रेमिका के ख्यालों में.
कही परिजन चीत्कार कर रहे छाती पीटकर,
प्रेम पत्र लिख रहे हम उसपर इतर छिटकर.
पड़ोस में एक बीमार पड़े ,मदद को हैं बुलाते,
पर गुलाब लिए हाथ में हम गीत हैं गुनगुनाते.
क्यों औरों का दुःख अपनाऊँ…
Added by praveen singh "sagar" on February 10, 2013 at 12:42pm — 6 Comments
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