For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वाह -वाह क्या बात है !

काव्यगोष्ठी , परिचर्चा
कभी किसी विषय का विमोचन ,
आये दिन होते रहते
कविता पाठ के मंचन .
बाज़ न आते आदत से
ये कवियों की जो जात है .
वाह -वाह क्या बात है !
वाह -वाह क्या बात है !

इन्हें आदत है बोलने की
ये बोलते जायेंगे ,
हमारा क्या है , हम भी
सुनेंगे , ताली बजायेंगे .
पल्ले पड़े न पड़े , कोई फर्क नहीं
बस ढiक का तीन पात है .
वाह -वाह क्या बात है !
वाह -वाह क्या बात है !

ये निठल्ले , निकम्मे कवि
बे बात के ही पड़ते गले ,
बंद कमरों में कलम चला
जन क्रांति करने चले .
समाज सुधारेंगे ये क्या भला
जिनकी खुद की नहीं कोई औकात है .
वाह -वाह क्या बात है !
वाह -वाह क्या बात है !

पर ऐसा नहीं है मित्रों
ज़रा उबरो इस सोच से ,
देश उत्थान मंद ना पर जाए
साहित्य के मांग की लोच से .
ऐसी बातों से पहुँचता
दिल को बड़ा आघात है .
वाह -वाह क्या बात है !
वाह -वाह क्या बात है !

कलम की क्रांति होगी , बेशक
जन आन्दोलन होगा ,
जागेगी जनता निश्चय ही
भ्रस्ताचार उन्मूलन होगा .
मिट जायेगी ये अज्ञानता की
जो काली अँधेरी रात है .
वाह -वाह क्या बात है !
वाह -वाह क्या बात है !

प्रवीण "सागर"
(09311788846)

Views: 1278

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2012 at 3:55pm

प्रवीण सागर जी कविता हास्य व्यंग्य का पुट लेकर चली चलते चलते गंभीर मुद्दे पर एक सार्थक सन्देश की और बढ़ चली अंदाज बहुत अच्छा लगा बेहतरीन सोच के लिए बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 7, 2012 at 7:15pm

एकदम से शुरु हो कर रचना अपने कहे को स्थापित करना चाहती है और अचानक गंभीर हो जाती है.

प्रयासरत रहें, भाईजी.

Comment by रविकर on November 5, 2012 at 5:31pm

बधाई आदरणीय |
एक तुरंती -

ताली गाली से सदा, इनका सरोकार |
बाता-बाती में नहीं, कोई पाए पार |
कोई पाए पार, मगर लीडर दे टक्कर |
लफ्फाजी व्यापार, काम इक करता हटकर |
खोज माल असबाब, खजाना करता खाली |
लेकिन कवि की जात, खोज नहीं पाता ताली ||

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 4, 2012 at 6:17pm

कलम की ताकत का भान भक्ति काल में जो हुआ वह हम सबके सामने है |प्रथ्वी राज चौहान और महाराणा प्राताप जैसे शेर में भी क्रन्तिकारी परिवर्तन हुआ है कलम की ताकत का सुन्दर शब्दों में बखान करने पर बधाई भाई प्रवीण सिंह जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 4, 2012 at 3:09pm

कलम की क्रांति होगी , बेशक 
जन आन्दोलन होगा ,
जागेगी जनता निश्चय ही 
भ्रस्ताचार उन्मूलन होगा .
मिट जायेगी ये अज्ञानता की 
जो काली अँधेरी रात है .
वाह -वाह क्या बात है !................कलम की क्रांतिकारी ताकत को सुन्दर शब्द मिले है.

हार्दिक बधाई इस अभिव्यक्ति पर आ. प्रवीण सिंह जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 4, 2012 at 11:21am

//जागेगी जनता निश्चय ही
भ्रष्टाचार उन्मूलन होगा .
मिट जायेगी ये अज्ञानता की
जो काली अँधेरी रात है .//
वाह बातों बातों में क्या बात कही है, वाह -वाह क्या बात है, बधाई स्वीकार करें प्रवीण सागर जी |

Comment by PHOOL SINGH on November 3, 2012 at 2:47pm

 प्रवीण जी नमस्कार

कमाल की रचना.....बधाई.......

फूल सिंह

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service