सनम मैं क्या लिखूँ .............
नयनों से बहते हुए नीर को,
या दिल में चुभते तीर को.
दिखे चेहरा तेरा जिसमे, उस दर्पण को,
या, प्यार में सब कुछ समर्पण को .
या फिर लिखें अपनी फूटी तकदीर को.
नयनों से बहते हुए नीर को,
या दिल में चुभते हुए तीर को.
सनम मैं क्या लिखूँ .............
लिखूँ तुम्हारे रेशमी बालों को,
या उनमे उलझे सारे सवालों को.
लिखूँ अपने दिल की पुकार को,
या तुम जैसे संगदिल यार को.
बंध गई जिसमे मुहब्बत, लिखूँ उस जंजीर को.
नयनों से बहते हुए नीर को,
या दिल में चुभते हुए तीर को.
सनम मैं क्या लिखूँ ..............
इस सागर में उठ रही ऊँची लहर को,
प्यार जैसे अमृत को, या प्यार जैसे जहर को.
लिखूँ तुम्हारी रसभरी बातों को,
या यादों में कटती विरह की रातों को.
रूठ गया भगवान जिसका, लिखूँ उस मंदिर को.
नयनों से बहते हुए नीर को,
या दिल में चुभते हुए तीर को.
सनम मैं क्या लिखूँ ...............
....प्रवीण "सागर"
लिखूँ
Comment
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति,प्रवीण जी.
नयनों से बहते हुए नीर को, या दिल में चुभते तीर को. दिखे चेहरा तेरा जिसमे, उस दर्पण को, या, प्यार में सब कुछ समर्पण को . बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं.
विरह व्यथा ..सुंदर प्रस्तुति .प्रवीन जी ..बधाई .
बहुत खूब! अच्छे शब्दों मे पिरोइ गई कोमल भावनाएँ सहज ही दिल मे उतरती प्रतीत होती हैं|
अच्छी रचना पर हार्दिक बधाई !
क्या लिखूं की सोच में बहुत कुछ लिख गए श्री सागर जी !! हार्दिक बधाई इस मधुर रचना हेतु !!
सनम मैं क्या लिखूँ ..... एक सुन्दर रचना बहुत बढ़िया
वाह,,,,,,,,,बहुत सुन्दर निभाया है आपने,,,,,,,,,,,,
bahut sundar abhivyakti , badhai .
आदरणीय प्रवीण जी,
विरह-वेदना की सशक्त अभिव्यक्ति है आपकी यह कविता| बहुत बढ़िया| आभार,
man ke upje bhaavon ko ek sootra me pirone ka achcha andaaj hai.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online