For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Chaatak
  • Male
  • Gonda, Uttar Pradesh
  • India
Share on Facebook MySpace

Chaatak's Friends

  • Preeti
  • ASHISH KUMAR DUBEY
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • पियूष कुमार पंत
  • Harish Bhatt
  • Dr. Shashibhushan
  • मनोज कुमार सिंह 'मयंक'
  • अश्विनी कुमार
  • PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
  • संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी'
  • आशीष यादव

Chaatak's Groups

 

Chaatak's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Gonda Uttar-Prdesh
Native Place
Gonda
Profession
Farmer
About me
मैंने मंजिल को तलाशा मुझे बाज़ार मिले!

Chaatak's Photos

  • Add Photos
  • View All

Chaatak's Blog

अपील

मेरे बड़े भाई का लीवर ट्रांसप्लांट आपरेशन गुडगाँव मेदान्ता अस्पताल में है| खून की जरूरत है वे वार्ड में एडमिट हैं| गुडगाँव, दिल्ली, नोयडा व् आस-पास रहने वाले सभी सुधी ब्लॉगर बंधुओं और मित्रों से अपील है कि यदि संभव हो तो मेरे बड़े भाई की जीवन रक्षा हेतु रक्तदान करें । हम आजीवन आपके आभारी रहेंगे । यहाँ पर मैं परम मित्र भाई सन्तोष जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने आज अपने पांच मित्रो के साथ पहुंचकर रक्तदान किया। अभी भी लगभग 30 यूनिट रक्त रक्त की आवश्यकता है । धन्यवाद चातक…

Continue

Posted on May 18, 2012 at 2:17pm — 7 Comments

मत जाओ !

मत जाओ ! मत जाओ !

कैसे कहें हम उनसे कि आज, मत…

Continue

Posted on March 22, 2012 at 4:22pm — 5 Comments

मैंने जीना चाहा था

सुर्ख इबारत बयाँ करेगी – मैंने जीना चाहा था,

चाक कलेजे के ज़ख्मों को मैंने सीना चाहा था;

जो भी आया उसने ही कुछ दुखते छाले फोड़ दिए,

वहशत की आग बुझाने को मेरे सब सपने तोड़ दिए;

तेरे आँचल के धागों से रिसना ढकना चाहा था,

सुर्ख इबारत बयाँ करेगी- मैंने जीना चाहा था |

अपनी ही रुसवाई…

Continue

Posted on March 12, 2012 at 11:31am — 22 Comments

Comment Wall (9 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 7:38pm on April 15, 2012, SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR said…

जो भी आया उसने ही कुछ दुखते छाले फोड़ दिए,

वहशत की आग बुझाने को मेरे सब सपने तोड़ दिए;

चातक जी आज के इस दर्द भरे जहां में ये भी देखने को मिलता है ...खूबसूरत ...

भ्रमर ५ 


At 10:42pm on March 16, 2012,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 6:25am on March 15, 2012, JAWAHAR LAL SINGH said…

सुर्ख इबारत बयाँ करेगी- मैंने जीना चाहा था |

अपनी ही रुसवाई…

बहुत  खूब!

At 7:51pm on March 13, 2012, पियूष कुमार पंत said…

बहुत शुक्रिया चातक जी...... 

At 4:43pm on March 13, 2012, संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' said…

thanks Chaatak ji. Regards,

At 9:42am on March 13, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

ना कोई दरकार और थी, ना कुछ लेना चाहा था,
सुर्ख इबारत बयान करेगी – मैंने जीना चाहा था |

स्नेही चातक जी,  बहुत सुन्दर भाव पूर्ण अभिव्यक्ति. बधाई.

At 9:38am on March 13, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

सुन्दर विचारों की धरती पर आप का स्वागत है स्नेही चातक जी, 

At 10:12pm on March 12, 2012, वीनस केसरी said…

ओ. बी. ओ. परिवार आपका हार्दिक स्वागत करता है

At 1:02pm on March 12, 2012, संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' said…

स्वागत है चातकजी|

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service