मेरे बड़े भाई का लीवर ट्रांसप्लांट आपरेशन गुडगाँव मेदान्ता अस्पताल में है| खून की जरूरत है वे वार्ड में एडमिट हैं| गुडगाँव, दिल्ली, नोयडा व् आस-पास रहने वाले सभी सुधी ब्लॉगर बंधुओं और मित्रों से अपील है कि यदि संभव हो तो मेरे बड़े भाई की जीवन रक्षा हेतु रक्तदान करें । हम आजीवन आपके आभारी रहेंगे । यहाँ पर मैं परम मित्र भाई सन्तोष जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने आज अपने पांच मित्रो के साथ पहुंचकर रक्तदान किया। अभी भी लगभग 30 यूनिट रक्त रक्त की आवश्यकता है । धन्यवाद चातक…
ContinuePosted on May 18, 2012 at 2:17pm — 7 Comments
Posted on March 22, 2012 at 4:22pm — 5 Comments
सुर्ख इबारत बयाँ करेगी – मैंने जीना चाहा था,
चाक कलेजे के ज़ख्मों को मैंने सीना चाहा था;
जो भी आया उसने ही कुछ दुखते छाले फोड़ दिए,
वहशत की आग बुझाने को मेरे सब सपने तोड़ दिए;
तेरे आँचल के धागों से रिसना ढकना चाहा था,
सुर्ख इबारत बयाँ करेगी- मैंने जीना चाहा था |
अपनी ही रुसवाई…
ContinuePosted on March 12, 2012 at 11:31am — 22 Comments
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Comment Wall (9 comments)
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जो भी आया उसने ही कुछ दुखते छाले फोड़ दिए,
वहशत की आग बुझाने को मेरे सब सपने तोड़ दिए;
चातक जी आज के इस दर्द भरे जहां में ये भी देखने को मिलता है ...खूबसूरत ...
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
सुर्ख इबारत बयाँ करेगी- मैंने जीना चाहा था |
अपनी ही रुसवाई…
बहुत खूब!
बहुत शुक्रिया चातक जी......
thanks Chaatak ji. Regards,
ना कोई दरकार और थी, ना कुछ लेना चाहा था,
सुर्ख इबारत बयान करेगी – मैंने जीना चाहा था |
स्नेही चातक जी, बहुत सुन्दर भाव पूर्ण अभिव्यक्ति. बधाई.
सुन्दर विचारों की धरती पर आप का स्वागत है स्नेही चातक जी,
ओ. बी. ओ. परिवार आपका हार्दिक स्वागत करता है
स्वागत है चातकजी|