174 members
555 members
217 members
393 members
खोलो मन की सांकल को ,
जरा हवा तो आने दो ,,
निकलो घर से बाहर तुम ,
शोख घटा को छाने दो ,,…
Posted on April 5, 2012 at 2:11pm — 24 Comments
जीवन मुझसे हरदम जीता ,
मै सदा सदा इससे हारा ,,
आकुल मन पिंजर बंद हुआ ,
कातर घायल यह बेचारा ,,
अति गहन तिमिर में व्याकुलमन,
विस्मृति से मुझे उबारे कौन,,
यह बुद्धि मनीषा किससे पूछे,
निर्जर भी सब हो गए मौन ,,
कुसुमित होता था कुसुम जहां ,
वह बगिया भी अब सूख गई ,,
निर्झरिणी बहती थी जहां सदा,
वह अमिय जाह्नवी सूख गई ,,
हा करुणा करुण विलाप करे ,
पर नेत्र नही हैं पनियाले ,,
तट बंध भ्रमित हो यह प्रश्न करे…
ContinuePosted on March 26, 2012 at 10:00pm — 7 Comments
दूर क्षितिज प्राची की लाली ,
अरे बावरी ओ मतवारी ,
उस पल को तूँ विस्मृत कर दे ,
जीवन मे विष को जो भर दे ,
इंद्रव्रज्या नही बन दधीचि तूँ ,
परम दंभ का ना बन प्रतीक तूँ ,
कण्ठ गरल मुख पर मुस्कान…
ContinuePosted on March 16, 2012 at 10:00am — 8 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
Comment Wall (8 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
aapka profile top vala sundar kaese kar liya badhai.
vande maatram.
स्नेही , श्री अश्विनी जी.
स्वागत है सर !
प्रिय आपके कहे अनुसार यहाँ आ गया, अब आप जानो और आपका काम जाने. मतलब आगे जो आज्ञा हो. वैसे नए वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं. माता जी प्रनाम और बच्चों को प्यार.
अश्विनी कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए आभार!
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
आप यदि अपना वास्तविक फोटो प्रोफ़ाइल में दें तो सब पर उपकार हो.
अपना दिल शेरदिल हो साहब, फोटो नहीं, है न !?
सादर
सपरिवार होली मंगलमय हो .